सीस पगा न झगा तन में, प्रभु! जाने को आहि बसै केहि ग्रामा।धोती फटी-सी लटी दुपटी, अरु पाँय उपानह को नहिं सामा।द्वार खड़ो द्विज दुर्बल एक, रह्मो चकिसो वसुधा अभिरामा।पूछत दीनदयाल को धाम, बतावत आपनो नाम सुदामा। ऐसे बेहाल बिवाइन सों, पग कंटक जाल लगे पुनि जोए। हाय! महादुख पायो सखा, तुम आए इतै न कितै दिन खोए।देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिकै करुनानिधि रोए।पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए|| प्रश्न
10. इस कविता के रचयिता हैं? *
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इस कविता का नाम 'सुदामा चरित' है|
इसके रचयिता नरोत्तमदास जी है I
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