सीस पगा न झगा तन में, प्रभु! जाने को आहि बसै केहि ग्रामा।धोती फटी-सी लटी दुपटी, अरु पाँय उपानह को नहिं सामा।द्वार खड़ो द्विज दुर्बल एक, रह्मो चकिसो वसुधा अभिरामा।पूछत दीनदयाल को धाम, बतावत आपनो नाम सुदामा। ऐसे बेहाल बिवाइन सों, पग कंटक जाल लगे पुनि जोए। हाय! महादुख पायो सखा, तुम आए इतै न कितै दिन खोए।देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिकै करुनानिधि रोए।पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए
Q. सुदामा कहाँ जा रहे थे?
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Answer:
सीस पगा न झगा तन में, प्रभु! जाने को आहि बसै केहि ग्रामा।धोती फटी-सी लटी दुपटी, अरु पाँय उपानह को नहिं सामा।द्वार खड़ो द्विज दुर्बल एक, रह्मो चकिसो वसुधा अभिरामा।पूछत दीनदयाल को धाम, बतावत आपनो नाम सुदामा। ऐसे बेहाल बिवाइन सों, पग कंटक जाल लगे पुनि जोए। हाय! महादुख पायो सखा, तुम आए इतै न कितै दिन खोए।देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिकै करुनानिधि रोए।पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए
सुदामा कहाँ जा रहे हैं और उनका गोरा होना कबसे हैं कि आप उन्हीं उनका नाम हैं कि आप उन्हीं ।
Answer:
सुदामा अपने मित्र श्री कृष्ण से मिलने द्वारका जा रहे हैं|
Explanation:
इस काव्य में नरोत्तम दास जी ने श्रीकृष्ण और सुदामा के मिलन का बहुत सुन्दर वर्णन किया है, और सुदामा की दयनीय स्थिति और श्री कृष्ण जी के अपने मित्र के प्रति प्रेम और उदर भाव का वर्णन भी बहुत की समत तारिके से किया गया है| सुदामा श्री कृष्ण के बचपन के मित्र हैं ,जो बहुत दिनो बाद उनसे मिलने द्वारका जा रहे हैं | वो भी अपनी धर्मपत्नी के कहने पर जिन्होने सुदामा को उनके मित्र से आर्थिक सहायता मांगने का अग्राह किया है | उनकी खुद की कोई इच्छा नहीं है लेकिन पत्नी द्वारा बहुत कहने के बाद उन्हें जाना पड़ा क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी| उनके शरीर पर कोई कुर्ता नहीं है ,ना सर पर पगड़ी वे फटी हुई धोती और गमछा पहने नंगे पांव ही अपने मित्रों से मिलने निकल पड़े हैं|
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