संसार किन ज्वालाओं में जल रहा है?
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sansar rang roop dharm vesh ke jvalaon mein jal raha hai
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- जाति-भेद
- धर्म-वेश
- रंग-द्वेष
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- जाति-भेद : जब कोई व्यक्ति अपनी जाति को सर्वश्रष्ठ मानता है तथा बाकी जातियों के व्यक्तियों को नीचा दिखने की कोशिश करता है तो उसे जातिगत भेदभाव कहते हैं। समाज में धर्मशास्त्रों के काल से चार वर्णों में बांटकर भेदभाव को देखा जा रहा है।
- धर्म-वेश : भारत देश में कई धर्म के लोग साथ में मिल जल कर रहते हैं। कई लोग अपने धर्म को दूसरों से उच्च मानते हैं और इस आधार पे समाज में भेद भाव पीडा करते हैं। जैसे की हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई। वेश का अर्थ है की लोगों के पहनावे पे भेद भाव करन। कई लोग अमर होते हैं और कई लोग गरीब, यह आधार लेकर बहुत से लोग वेश भूषा और रेहेन सेहेन पर भेद भाव करते है।
- रंग-द्वेष : हमारे देश में हर प्रकार इ लोग रहते हैं, कुछ काले हैं, कुछ गोर, कुछ सावले। यही हमरे देश की खूबसूरती को बयां करते हैं, परन्तु रंग को लेकर जब लोगों में भेद भाव किया जाता है, तो उसे रंग द्वेष कहते है।
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