संसार की नश्वरता और उदासीनता का भाव किस रस में उत्पन्न होता है
Answers
Answered by
1
Explanation:
आचार्य भोजराज ने 'शृंगार' को 'रसराज' कहा है। शृंगार रस का आधार स्त्री-पुरुष का पारस्परिक आकर्षण है, जिसे काव्यशास्त्र में रति स्थायी भाव कहते हैं। जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से रति स्थायी भाव आस्वाद्य हो जाता है तो उसे श्रृंगार रस कहते हैं।
Answered by
2
Answer:
अभिनवगुप्त ने शान्त रस को सर्वश्रेष्ठ माना है। संसार और जीवन की नश्वरता का बोध होने से चित्त में एक प्रकार का विराग उत्पन्न होता है परिणामतः मनुष्य भौतिक तथा लौकिक वस्तुओं के प्रति उदासीन हो जाता है, इसी को निर्वेद कहते हैं। जो विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होकर शान्त रस में परिणत हो जाता है।
Similar questions
Social Sciences,
2 months ago
English,
2 months ago
Environmental Sciences,
2 months ago
Hindi,
5 months ago
Business Studies,
5 months ago
Chemistry,
11 months ago