Hindi, asked by choudharyvansh642, 9 months ago

संसार में ऐसे मनुष्य भी होते हैं, जो अपने आमोद-प्रमोद के आगे
किसी की जान की परवाह नहीं करते, शायद इसका उसे अब भी
विश्वास न आता था । सभ्य संसार इतना निर्मम, इतना कठोर है, इसका
ऐसा मर्मभेदी अनुभव अब तक न हुआ था।

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Answered by Anonymous
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Answer:

निष्ठुर संसार

Explanation:

एक बार एक धनी डॉक्टर के पास एक गरीब व्यक्ति अपने एक बीमार परिजन को लेकर गया।लेकिन डॉक्टर ने बीमार का इलाज नहीं किया मगर वो डॉक्टर घूमने चला गया। डॉक्टर के इस निष्ठुर व्यवहार को देखकर बूढ़ा व्यक्ति सोचने लगा कि पता नहीं क्यूं इस

संसार में ऐसे मनुष्य भी होते हैं, जो अपने आमोद-प्रमोद के आगे किसी की जान की भी परवाह नहीं करते, शायद इसका उसे अब भी विश्वास न आता था. सभ्य संसार इतना निर्मम, इतना कठोर है, इसका ऐसा मर्मभेदी अनुभव अब तक न हुआ था. वह उन पुराने जमाने की जीवों में था, जो लगी हुई आग को बुझाने, मुर्दे को कंधा देने, किसी के छप्पर को उठाने और किसी कलह को शांत करने के लिए सदैव तैयार रहते थे. जब तक बूढ़े को मोटर दिखाई दी, वह खड़ा टकटकी लगाए उस ओर ताकता रहा. शायद उसे अब भी डॉक्टर साहब के लौट आने की आशा थी. फिर उसने कहारों से डोली उठाने को कहा. डोली जिधर से आई थी, उधर ही चली गई. चारों ओर से निराश हो कर वह डॉक्टर चड्ढा के पास आया था. इनकी बड़ी तारीफ सुनी थी. यहां से निराश हो कर फिर वह किसी दूसरे डॉक्टर के पास न गया. किस्मत ठोक ली!

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