Social Sciences, asked by hckrshubhu220, 7 months ago

संसाधनों के अविवेकपूर्ण या अतिशय
दोहन से कौन-कौन सी सामाजिक
समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं ?​

Answers

Answered by vickygaikwad1417
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संसाधन एक ऐसी प्राकृतिक और मानवीय सम्पदा है, जिसका उपयोग हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में करते हैं। दूसरे शब्दों में मानवीय-जीवन की प्रगति, विकास तथा अस्तित्व संसाधनों पर निर्भर करता है। प्रत्येक प्राकृतिक संसाधन मानव-जीवन के लिये उपयोगी है, किंतु उसका उपयोग उपयुक्त तकनीकी विकास द्वारा ही संभव है। भूमि, सूर्यातप, पवन, जल, वन एवं वन्य प्राणी मानव-जीवन की उत्पत्ति से पूर्व विद्यमान थे। इनका क्रमिक विकास तकनीकी के विकास के साथ ही हुआ। इस प्रकार मनुष्य ने अपनी आवश्यकतानुसार संसाधनों का विकास कर लिया है। स्पष्ट है कि पृथ्वी पर विद्यमान तत्वों को, जो मानव द्वारा ग्रहण किये जाने योग्य हो, संसाधन कहते हैं। जिम्मरमैन ने लिखा है कि, संसाधन का अर्थ किसी उद्देश्य की प्राप्ति करना है, यह उद्देश्य व्यक्तिगत आवश्यकताओं तथा समाजिक लक्ष्यों की स्तुति करना है। इस पृथ्वी पर कोई भी वस्तु संसाधन की श्रेणी में तभी आती है जब वह निम्नलिखित दशाओं में खरी उतरती है-

(1) वस्तु का उपयोग संभव हो।

(2) इसका रूपान्तरण अधिक मूल्यवान तथा उपयोगी वस्तु के रूप में किया जा सके।

(3) जिसमें निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति की क्षमता हो।

(4) इन वस्तुओं के दोहन की योग्यता रखने वाला मानव संसाधन उपलब्ध हो।

(5) संसाधनों के रूप में पोषणीय विकास करने के लिये आवश्यक पूँजी हो।

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