संसाधन का उपयोग कैसे होता है
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संसाधन शब्द का अभिप्राय साधारणतः मानव उपयोग की वस्तुओं से है। ये प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों हैं। मनुष्य प्रकृति के अपने अनुरूप उपयोग के लिए तकनीकों का विकास करता है। प्राकृतिक तंत्र में किसी तकनीक का जनप्रिय प्रयोग उसे एक सभ्यता में परिणित करता है, यथा जीने का तरीका या जीवन निर्वाह। इस प्रकार यह सांस्कृतिक संसाधन की स्थिति प्राप्त करता है। संसाधन राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के आधार का निर्माण करते हैं। भूमि, जल, वन, वायु, खनिज के बिना कोई भी कृषि व उद्योग का विकास नहीं कर सकता। ये प्राकृतिक पर्यावरण जैसे कि वायु, जल, वन और विभिन्न जैव रूपों का निर्माण करते हैं, जो कि मानवीय जीवन एवं विकास हेतु आवश्यक है। इन प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से मनुष्य ने घरों, भवनों, परिवहन एवं संचार के साधनों, उद्योगों आदि के अपने संसार का निर्माण किया है। ये मानव निर्मित संसाधन प्राकृतिक संसाधनों के साथ काफी उपयोगी भी हैं और मानव के विकास के लिए आवश्यक भी।
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Explanation:
संसाधन शब्द का अभिप्राय साधारणत: मानवी उपयोग की वस्तुओं से है। ये प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों हो सकती हैं।
संसाधन राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के आधार का निर्माण करते हैं। भूमि, जल, वन, वायु, खनिज के बिना कोई भी कृषि व उद्योग का विकास नहीं कर सकता।
संसाधनों को कई तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है मुख्यत: (i) पुनर्नवीनीकरण, (ii) उत्पत्ति और (iii) उपयोग।
(3) संसाधनों का उपयोग :
अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मानव प्रारंभ से ही संसाधनों का उपयोग करता रहा है। यह प्रक्रिया ‘संसाधन उपयोग’ कहलाती है।
- इस प्रकार संसाधन मनुष्य द्वारा निर्मित किए जाते हैं। किंतु उसे इन निष्क्रिय उपादानों को मूल्यवान संसाधनों में परिवर्तित करने के लिए संस्कृति की सहायता की आवश्यकता होती है।
- संस्कृति में समस्त उपकरण एवं मशीनें, परिवहन एवं संचार के साधन साथ ही प्रभावी प्रबंधन, सामूहिक सहयोग, मनोरंजन, बौद्धिक कार्य, शिक्षा, प्रशिक्षण, उन्नत स्वास्थ्य एवं शिक्षा शामिल हैं।
- संस्कृति के बिना मनुष्य की कार्य एवं उत्पादन की क्षमता सीमित है। आधुनिक युग में, विज्ञान एवं तकनीक के उपयोग ने उत्पादन हेतु संसाधनों के प्रभावी उपयोग की मनुष्य की क्षमता एवं योग्यता बढ़ा दी है।
- उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका व पश्चिम यूरोपीय देशों के पास, उन्नत तकनीक द्वारा प्राकृतिक सम्पदा के प्रभावी उपयोग के लिए ‘उच्च विकसित अर्थव्यवस्था’ है।
- दूसरी ओर, अफ्रीका, एशिया व लैटिन अमेरिका के कई देश प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों के होते हुए भी विकास के स्तरों में काफी पीछे हैं क्योंकि ये देश आधुनिक तकनीक के मामले में भी काफी पीछे हैं।
- मृदा अपरदन, वन नाशन व अति चराई के कारण मूल्यवान मृदा संसाधन अवक्षय की आशंका से घिरे हैं।
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