सिंसणर में ऐसण कोई प्रणर्ी न ीिं जो जन्म से ी बुदधिमणन ो।जन्म से तो समस्त प्रणर्ी जरबुिी ोते ै,
ककन्तुउनमें अनेक किणएिं सुप्तणवस्थण में ववदयमणन र ती ैं।ये किणएिं लशक्षण और अभ्यणस से ववकलसत
ोती ैं।ननरिंतर अभ्यणस के दवणरण मणनव उनमें ननपर्ु तण प्रणप्त करतण ैं। ववलिन्न किणओिं में अभ्यणस
दवणरण व्यक्तत ववदयण और प्रनतष्ठण प्रणप्त करतण ैं।
ईश्वर ने सिी मनुष्यो को समणन बुदधि प्रदणन की ै। बुदधिमणन व्यक्तत ननरिंतर अभ्यणस के
दवणरण उसे प्रिर बनण सुजणन बन जणतण ैं।मणनव ी तयण जर पत्थर िी रस्सी के बणर- बणर आने जणने से
ननशणन बन जणते ैंइसलिए अभ्यणस से प्रिर मेिण को प्रणप्त करनण कोई असिंिव बणत न ीिं ैं। ननरिंतर
अभ्यणस के दवणरण मणनव में आत्मववश्वणस उत्पन्न ोतण ैऔर कणयग करने में दक्षतण आती ै।व्यक्तत को
तब तक अभ्यणस करतेर नण चणह ए जब तक उसेअपनण िक्ष्य प्रणप्त न ो जणए।अभ्यणसरत एविं प्रयत्नशीि
व्यक्तत स्वयिं तो सफितण प्रणप्त करके कृतकृत्य ोते ी ै, ववश्व के अन्य िोर्ों के लिए िी सफितणओिं
के दवणर िोि देते ैं।
( क ) जन्म से सिी प्रणर्ी बुदधिमणन तयों न ीिं ोते ? 2
( ि) किणओिं को ववकलसत करने में लशक्षण और अभ्यणस की तयण िूलमकण ै? 2
( र् ) रस्सी और पत्थर के उदण रर् के मणध्यम से तयण स्पष्ट ककयण र्यण ैं? 2
(घ ) िक्ष्य प्रणक्प्त के लिए कौन – कौन सेर्ुर् आवश्यक ैं? 2
(च) सम्मणन शब्द कण पयणगय र्दयणिंश में से छणिंटकर लििे । 1
(च) प्रस्तुत र्दयणिंश कण उधचत शीषगक लििे।
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Acid turns blue litmus red and bases turns red litmus blue
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