Hindi, asked by shaylaheart2520, 8 months ago

संतो, भाई आई ज्ञान की आँधी रे। पद में कबीर क्या संदेश देना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।

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Answered by gopalberma
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Answer:

संतों भाई, आई ज्ञान की आंधी।

भ्रम की टाटी सबै उड़ाणी, माया रहे न बाकी।

आंधी तो आंधी है। वह जब आती है तो सब कुछ उड़ा ले जाती है। ऊंचा-नीचा, अच्छा-बुरा, उजला-काला, रात-दिन, कुछ नहीं देखती। सामने तिनका हो या पूरा पेड़, वह उसे उड़ा ले जाने की कोशिश करती है। तिनके नाजुक भी होते हैं और हल्के भी। जिसमें अपना वजन नहीं होता वह हवाओं के सहारे ही उड़ते हैं। जमीन से जुड़ाव खत्म होने के बाद तिनकों की यही नियति होती है। यह उड़ान नहीं भटकाव है। मिट्टी में मिल जाने की प्रक्रिया है।

वृक्ष अपनी जड़ों को धरती में गहरे तक उतार देता है। धरती से यह रिश्ता ही उसे जीवनी शक्ति देता है। उसके अंदर प्राण का संचार करता है। उसे आंधी-तूफानों के सामने सीना तान कर खड़े होने का हौंसला देता है।

Answered by banoshamina95
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संतो, भाई आई ज्ञान की आँधी रे। पद में कबीर क्या संदेश दे

संतो, भाई आई ज्ञान की आँधी रे। पद में कबीर क्या संदेश देना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।

ना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।

संतो, भाई आई ज्ञान की आँधी रे। पद में कबीर क्या संदेश देना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।

संतो, भाई आई ज्ञान की आँधी रे। पद में कबीर क्या संदेश देना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।

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