Hindi, asked by rmalhotra3439, 1 year ago

संत गुरु रविदास जीवन परिचय Sant Guru Ravidas Biography In Hindi

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Answered by Anonymous
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संत गुरु रविदास जीवन परिचय Sant Guru Ravidas Biography In Hindi

❱ संत गुरु रविदास जीवन परिचय, रविदास जयंती: भारत एक संतों की नगरी है जहाँ बहुत से ऐंसे संत हुए जो अपने पीछे मानव के लिए एक महत्वपूर्ण

Answered by Stylishhh
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Answer:

कोई भी व्यक्ति अपने जन्म से नहीं कार्यों से महान बनता है। यह बात सन्तकवि रविदास ने अपने कार्य एवं व्यवहार से प्रमाणित कर दी। अपने कार्य के प्रति पूर्णतः समर्पित रहते हुए ईश्वर भक्तिपरक काव्य की रचना कर उन्होंने समाज को जो संदेश दिए वे आज भी प्रासंगिक हैं।

सन्त रविदास का जन्म 1398 ईस्वी में काशी (वाराणसी) में हुआ। इनके पिता का नाम संतो़ख दास (रग्घु) तथा माता का नाम कलसा देवी (घुरबिनिया) था। पिता चर्म व्यवसाय करते थे। सन्त रविदास भी वही व्यवसाय करने लगे। वे अपना कार्य पूरी लगन और परिश्रम से करते थे। समयपालन की आदत तथा मधुर व्यवहार के कारण लोग उनसे बहुत प्रसन्न रहते थे। साधु-सन्तों की सहायता करने में उन्हें अत्यन्त आनंद मिलता था।

स्वामी रामानन्द काशी के प्रतिष्ठित सन्त थे। रविदास उन्हीं के शिष्य हो गए। अपना कार्य पूरा करने के बाद वे अधिकतर समय स्वामी रामानन्द के साथ ही बिताते थे।

‘‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’’

एक बार कुछ लोग गंगास्नान के लिए जा रहे थे। उन्होंने रविदास से भी गंगा स्नान के लिए चलने का आग्रह किया। रविदास ने कहा........‘‘गंगा स्नान के लिए मैं अवश्य चलता किन्तु मैंने एक व्यक्ति को उसका सामान बनाकर देने का वचन दिया है। यदि मैं उसे आज उसका सामान नहीं दे सका तो वचन भंग होगा। गंगा स्नान जाने पर भी मेरा मन तो यहाँ लगा रहेगा। मन जिस काम को अंतःकरण से करने को तैयार हो वही उचित है। मन शुद्ध है तो इस कठौती के जल में ही गंगा स्नान का पुण्य मिल जाएगा।’’ कहते हैं तभी से यह कहावत प्रचलित हो गई ‘‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’’।

रविदास का जन्म ऐसे समय में हुआ जब समाज में अनेक बुराइयाँ फैली थीं, जैसे अन्धविश्वास, धार्मिक आडम्बर, छुआछूत आदि। रविदास ने इन सामाजिक बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया। वे स्वरचित भजन गाते थे तथा समाज सुधार के कार्य करते। उन्होंने लोगों को बताया कि बाह्य आडम्बर और भक्ति में बड़ा अंतर है। ईश्वर एक है। वह सबको समान भाव से प्यार करता है। यदि ईश्वर से मिलना है तो आचरण को पवित्र करो और मन में भक्ति-भाव जाग्रत करो। आरम्भ में लोगों ने रविदास का विरोध किया किन्तु इनके विचारों से परिचित होने के बाद सम्मान करने लगे।

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