सीत कौ प्रबल सेनापति कोपि चढ्यौ दल,
निबल अनल, गयो सूरि सियराइ के।
हिम के समीर, तेई बरसैं विषम तीर
रहीहै गरम भौन कोनन मैं जाइ कै।
धूम नैन बहैं, लोग आगि पर गिरे रहैं,
हिए सौं लगाई रहैं नैंक सुलगाई कै।
मानो भीत जानि महा सीत ते पसारि पानि,
छतियाँ की छाँह राख्यौ पाउक छिपाइ कै।।
इसकी सप्रसंग वाख्या किजिए विशेष के साथ में
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iam not understand language sorry hacan you ask me in english really sorry ha
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