सूती कपड़ा मिलें समस्त भारत में क्यों फैली हुई है
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Explanation:
हम औसत का प्रयोग आय की तुलना करने के लिए करते हैं।
आय की तुलना दो व्यक्तियों के बीच दो राज्यों के बीच या फिर दो देशों के बीच हो सकती है। एक देश के लोग दूसरे देश के लोगों से कितने बेहतर है? इसके लिए हम औसत आय की तुलना करते हैं जो कि देश की कुल आय को कुल जनसंख्या से भाग देखा निकाली जाती है।
उदाहरण के लिए अर्थशास्त्री आर्थिक विकास की दृष्टि से प्रति व्यक्ति आय या औसत आय को एक माप मानते हैं, लेकिन हो सकता है कि देश में औसत आय में वृद्धि हुई हो तथा धन और आय के वितरण से अधिक असमानताएं आई हो, अर्थात धनी व्यक्ति अधिक धनी हुए हैं ग़रीब व्यक्ति और ग़रीबl
सूती कपड़ा मिलें समस्त भारत में अपने प्रसिद्धि के कारण और बाजार में अधिक मांग की वजह से फैली हुई है |
Explanation:
भारत प्राचीन काल से ही अन्य देशों के लिए उत्तम सूती कपड़ों का निर्यातक रहा है। 13 वीं शताब्दी में भारत की यात्रा करने वाले यात्रिओ और इतिहासकरो ने श्रेष्ठता की प्रशंसा की है। भारतीय कपड़े 16 वीं शताब्दी की शुरुआत में और 18 वीं शताब्दी के प्रारंभ में, भारतीय सूती उत्पादन में वृद्धि हुई, कच्चे कपास और सूती वस्त्र दोनों के संदर्भ में। मुगलों ने कृषि सुधारों को एक नई राजस्व प्रणाली के रूप में पेश किया, जो कि कपास और इंडिगो जैसी उच्च मूल्य की नकदी फसलों के अभिनत थे |
सूती कपड़ा उद्योग देशी व्यापार को विदेश के एक बड़े हिस्से में फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है । 18 वीं शताब्दी में भारत वैश्विक वस्त्र व्यापार का 25% हिस्से पर काबिज़ था | भारतीय सूती वस्त्र 18 वीं शताब्दी में विदेश व्यापार में सबसे प्रभावाशाली तैयार किया हुआ सामान था |