Hindi, asked by Chiragrock6139, 11 months ago

सूत-पुत्र' नाटक के द्वितीय अंक की कथा का सार संक्षेप में लिखिए।

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Answered by yashj3829
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Answer:

त्र नाटक का द्वितीय अंक द्रौपदी का स्वयंवर से प्रारंभ होता है। राजकुमार और दर्शक एक सुंदर मंडप के नीचे अपने-अपने आसनों पर विराजमान हैं। खौलते तेल के कड़ाह के ऊपर एक खंभे पर लगातार घूमने वाले चक्र पर एक मछली है। स्वयंवर में विजयी बनने के लिए तेल में देख कर उस मछली की आंख को बेधना है। अनेक राजकुमार लक्ष्य बेधने की कोशिश करते हैं और असफल होकर बैठ जाते हैं। प्रतियोगिता में कर्ण के भाग लेने पर राजा द्रुपद आपत्ति करते हैं और उसे अयोग्य घोषित कर देते हैं। दुर्योधन उसी समय कर्ण को अंग देश का राजा घोषित करता है। इसके बावजूद कर्ण का क्षत्रियत्व एवं उसकी पात्रता सिद्ध नहीं हो पाती और कर्ण निराश होकर बैठ जाता है। उसी समय ब्राह्मण वेश में अर्जुन एवं भीम सभा-मंडप में प्रवेश प्रवेश करते हैं। लक्ष्य बेधने की अनुमति मिलने पर अर्जुन मछली की आंख बेध देते हैं और राजकुमारी द्रौपदी उन्हें वर माला पहना देती हैं।

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