Hindi, asked by ksnegi061974, 1 year ago

संत रविदास जी की कविताएं . please answer its urgent​

Answers

Answered by harshmalu910
1



“यह किताब मुझे एक जादू की पुड़िया की भाँति लगी।” डिम्पल रस्तोगी

प्रभु जी तुम चंदन हम पानी / रैदास

रैदास »

प्रभु जी तुम चंदन हम पानी। जाकी अंग-अंग बास समानी॥

प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा। जैसे चितवत चंद चकोरा॥

प्रभु जी तुम दीपक हम बाती। जाकी जोति बरै दिन राती॥

प्रभु जी तुम मोती हम धागा। जैसे सोनहिं मिलत सोहागा।

प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा। ऐसी भक्ति करै 'रैदासा॥

Answered by skb97
2

Answer:

1. सन्त कवि रविदास जी के प्रति

(सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला)

ज्ञान के आकार मुनीश्वर थे परम

धर्म के ध्वज, हुए उनमें अन्यतम,

पूज्य अग्रज भक्त कवियों के, प्रखर

कल्पना की किरण नीरज पर सुघर

पड़ी ज्यों अंगड़ाइयाँ लेकर खड़ी

हो गयी कविता कि आयी शुभ घड़ी

जाति की, देखा सभी ने मीचकर

दृग, तुम्हें श्रद्धा-सलिल से सींचकर।

रानियाँ अवरोध की घेरी हुईं

वाणियाँ ज्यों बनी जब चेरी हुईं

छुआ पारस भी नही तुम ने, रहे

कर्म के अभ्यास में, अविरत बहे

ज्ञान-गंगा में, समुज्ज्वल चर्मकार,

चरण छूकर कर रहा मैं नमस्कार।

Similar questions