संत - शिरोमणि किसे माना गया है और क्यों?
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संत रविदास
संत रविदास की गणना केवल भारत में ही नहीं अपितु विश्व के महान संतों में की जाती है। जिन्हें संत शिरोमणि गुरु रविदास से नवाजा गया है। संत रविदास की वाणी के अनुवाद संसार की विभिन्न भाषाओं में पाए जाते हैं, जिसका मूल कारण यह है कि संत रविदास उस समाज से सम्बद्ध थे, जो उस समय बौद्धिकता और ज्ञान के नाम से पूर्णतः अछूता था।
समय जहाँ विविध प्रकार की समस्याओं को लेकर आता है वहीं समाधान भी अपने आगोश में छिपाए रहता है। परंतु महान व्यक्तित्व समय की परिधि को ला ँघकर अपने बाद के हजारों वर्षों बाद तक प्रेरणा प्रदान करते रहते हैं। वे ऐसे कार्य की शुरुआत करते हैं जिनका मूल्य समय के क्रूर प्रहारों से कम नहीं हो सकता। ऐसे संत रविदासजी की जयंती, जो पूरे विश्व में मनाई जाती है।
ND
आज दिवस लेऊँ बलिहारा,
मेरे घर आया प्रभु का प्यारा।
आँगन बंगला भवन भयो पावन,
प्रभुजन बैठे हरिजस गावन।
करूँ दंडवत चरण पखारूँ,
तन मन धन उन परि बारूँ।
कथा कहैं अरु अर्थ विचारैं,
आप तरैं औरन को तारैं।
कहिं रैदास मिलैं निज दास,
जनम जनम कै काँटे पांस।
ऐसे पावन और मानवता के उद्धारक सतगुरु रविदास का संदेश निःसंदेह दुनिया के लिए बहुत कल्याणकारी तथा उपयोगी है।
Answer: संत - शिरोमणि गुरु रविदास को माना गया है|
Explanation:
संत रविदासजी बहुत ही दयालु और दानवीर थे। संत रविदास ने अपने दोहों व पदों के माध्यम से समाज में जातिगत भेदभाव को दूर कर सामाजिक एकता पर बल दिया और मानवतावादी मूल्यों की नींव रखी। रविदासजी ने सीधे-सीधे लिखा कि 'रैदास जन्म के कारने होत न कोई नीच, नर कूं नीच कर डारि है, ओछे करम की नीच' यानी कोई भी व्यक्ति सिर्फ अपने कर्म से नीच होता है। जो व्यक्ति गलत काम करता है वो नीच होता है। कोई भी व्यक्ति जन्म के हिसाब से कभी नीच नहीं होता।
- संत रविदास ने अपनी कविताओं के लिए जनसाधारण की ब्रजभाषा का प्रयोग किया है। साथ ही इसमें अवधी, राजस्थानी, खड़ी बोली और रेख्ता यानी उर्दू-फारसी के शब्दों का भी मिश्रण है।
- रविदासजी के लगभग चालीस पद सिख धर्म के पवित्र धर्मग्रंथ 'गुरुग्रंथ साहब' में भी सम्मिलित किए गए है।
- कहते हैं कि स्वामी रामानंदाचार्य वैष्णव भक्तिधारा के महान संत हैं। संत रविदास उनके शिष्य थे।
- संत रविदास तो संत कबीर के समकालीन व गुरूभाई माने जाते हैं। स्वयं कबीरदास जी ने 'संतन में रविदास' कहकर इन्हें मान्यता दी है।
- राजस्थान की कृष्णभक्त कवयित्री मीराबाई उनकी शिष्या थीं। यह भी कहा जाता है कि चित्तौड़ के राणा सांगा की पत्नी झाली रानी उनकी शिष्या बनीं थीं।
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