Hindi, asked by karishmamourya650, 6 hours ago

संतोष सिंह बुंदेला की काव्यगत विशेषताएं लिखिए ​

Answers

Answered by jatinkumarpatra786
0

Answer:

दुखिया-दीन गमइयाँ

बापू अबै न आए!

गौरीबाई

बिटिया

लमटेरा की तान

Explanation:

बिटिया तो है कपला गाय,

न अपने मुख सें कछु वा काय,

जमाने के सब जुलम उठाय,

ओंठ सें बोल न दो बोले,

महा जहर खाँ भी अन्तर में,

अमरित-सौ घोले।

सान्ति की सूरत है,

सील की मूरत है।

अन्तर में होंय आग तौउ बा सीतल बानी बोले,

नौनी-बुरइ सबइ की सुनबै भेद न मन कौ खोले

खुसी में थोड़ौ मुसक्या देत,

लाज सें दृग नीचे कर लेत,

न ईसें आगें उत्तर देत, मन की चाहे धरा डोले।

करत है जब कोऊ ऊकी बात,

तौ नीचौ सर करकें उठ जात,

लाज भर नख-सिख सें,

कछू ना कह मुख सें।

सावन की सोभा है बिटिया और दोज कौ टीकौ,

न्यारौ-न्यारौ रूप है ईको मात-बहिन-पतनी कौ।

ईकौं केवल कन्यादान,

होत है कोटन जग्य समान,

दओ जिन उनके भाग्य महान, भाग्य दोऊ कुल के खोले।

सजाबै अपनों घर संसार,

प्यार कौ लै अपार भंडार,

जात घर साजन के,

छोड़ सँग बचपन के।

कर दए पीरे हाँत, पराए हो गए बाप-मताई,

छूटे पौंर, देहरी, आँगन, पनघट गली-अथाई।

चली तज बाबुल कौ घर-गाँव,

और माँ की ममता की छाँव,

परबस जात पराए ठाँव, चली डोली होले-होले।

याद कर भाई-बहिन की जंग,

संग सखियन के बिबिध प्रसंग,

नैन भर-भर आबैं,

सबइ छूटे जाबैं।

पलकन की छाया में राखो, सुख-सनेह सें पालो,

ऐसी नौनी रामकुँवर पै, परै न राम कसालो।

रात-दिन दुआ करै पितु-मात,

सौंप दओ जीके हाँत में हाँत,

संग में ऊके रहै सनात, नाथ की सेवा में हो ले।

जराबै संजा कैं नित दीप,

धरत है तुलसीधरा समीप,

बड़न के पग लागै,

कुसल पतिकी माँगै।

लरका जग में एकइ कुल कौ, कुल-दीपक कहलाबै,

‘पुत्रि पवित्र करे कुल दोऊ’ रामायन जा गाबै।

कन्या कुलवंती जो होय,

तौ ऊसें जस पाबें कुल दोय,

अपने मन मानस में धोय, तौल कें फिर बानी बोले।

करत है हरदम मीठी बात,

मनौ होय फूलन की बरसात,

कि जीमें समता है,

हिये में ममता है।

Similar questions