Chemistry, asked by Tamannasayyed, 9 months ago

संतोष सेतु जब टूट जाता है तब इच्छा का बहाव अपरिमित हो जाता है। nibandh in hindi​

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Answered by shishir303
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संतोष सेतु जब टूट जाता है तो इच्छाओं का बहाव अपरिमित हो जाता है,

संतोष सेतु जब टूट जाता है तो इच्छाओं का बहाव अपरिमित हो जाता है, क्योंकि संतोष ही है वो बाँध जो इच्छा रूपी नदी की तेज लहरों को बाँध के रखता है। जब यह बाँध टूट जाता है तो वह इच्छा रूपी नदी बह निकलती है और उस का बहाव अनियंत्रित हो जाता है। इसलिए आवश्यक है कि हम इच्छा रूपी नदी को नियंत्रित करके रखें, उसके लिए संतोष रूपी बाँध बनाना सबसे जरूरी है।

संतोष में असीमित सुख है, परम आनंद है। संतोष हमें बांधे रखता है हमारी मर्यादा में, हमारी सीमा में। यदि हम असंतुष्ट हो जाते हैं तो हम अपनी सीमाओं को तोड़ने लगते हैं। हम वह हासिल करने का प्रयत्न करते हैं जिसे हम हासिल नहीं कर सकते। लेकिन हमारा मन असंतोषी हो जाता है तो वह इस बात को नहीं समझ पाता। हमारे अंदर लोभ की प्रवृत्ति जन्म लेने लगती है। हर चीज की कामना करने पर वह चीज हासिल ही हो जाए या आवश्यक नहीं होता। ऐसी स्थिति में कुंठ जन्म लेती है, निराशा उत्पन्न होती है जो हमारे दुखों और हमारे कष्टों का कारण बनती है। इसके लिए संतोषी बनना परम सुखी होने का सबसे उत्तम उपाय है ।

जब हमारी इच्छा रूपी नदी अनियंत्रित होने की और अग्रसर होती है तो हमें संतोष रूपी बाँध से बांधना बनना पड़ता है, ताकि उसके बहाव को रोका जा सके। यदि वह अनियंत्रित हो गई तो हम भी उसके बहाव के साथ बह जाएंगे और हमारा जीवन छिन्न-भिन्न हो सकता है।  

यह कहना बिल्कुल सही है, जब संतोष सेतु टूटता है तो इच्छाओं का बहाव अपरिमित हो जाता है। इस को सीमित करने की आवश्यकता है, इसी में हमारी भलाई है।

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