Hindi, asked by deviasha, 3 months ago

सीतायाः सतीत्वरक्षणं कैः अभवत् ?​

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Answered by Anonymous
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Answer:  जटायोः शौर्यम्

प्रस्तुत पाठ्यांश आदिकवि वाल्मीकि—प्रणीत रामायणम् के अरण्यकाण्ड से उद्धृत किया गया है जिसमें जटायु और रावण के युद्ध का वर्णन है। पंचवटी कानन में सीता का करुण विलाप सुनकर पक्षिश्रेष्ठ जटायु उनकी रक्षा के लिए दौड़े। वे रावण को परदाराभिमर्शनरूप निन्घ एवं दुष्कर्म से विरत होने के लिए कहते हैं। रावण की  परिवर्तित मनोवृत्ति को देख वे उस पर भयावह आक्रमण करते हैं। महाबली जटायु अपने तीखे नखों तथा पञ्जों से रावण के शरीर में अनेक घाव कर देते हैं तथा पञ्जों के प्रहार से उसके विशाल धनुष को खंडित कर देते हैं। टूटे धनुष, मारे गये अश्वों और सारथी वाला रावण विरथ होकर पृथ्वी पर गिर पड़ता है। कुछ ही क्षणों बाद क्रोधांध रावण जटायु पर प्राणघातक प्रहार करता है परंतु पक्षिश्रेष्ठ जटायु उससे अपना बचाव कर उस पर चञ्चु—प्रहार करते हैं, उसके बायें भाग की दशों भुजाओं को क्षत—विक्षत कर देते हैं।

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