Hindi, asked by tripathirohitshanker, 1 month ago

सेठ जी क्या सोचकर खूब तेज तेज चले​

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Answered by captcssajwan
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so here is your and...

  • सेठ जी इतने बड़े धर्मपरायण थे कि कोई साधू-संत उनके द्वार से निराश न लौटता, भरपेट भोजन पाता। उनके भंडार का द्वार हमेशा सबके लिए खुला रहता। उन्होंने बहुत से यज्ञ किए और दान में न जाने कितना धन दिन दुखियों में बाँट दिया था। ... इस प्रकार बहुत अधिक गरीबी आ जाने के कारण सेठानी ने सेठ को अपना यज्ञ बेचने की सलाह दी।

wel if you like my ans....

Answered by DivyanshiSomya
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यह कि कही उसके दुकान में चुरी ना होजाए

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