Biology, asked by nikhilkumar7677, 10 months ago

सफ़ेद लत का वैज्ञानिक नाम, जीवन चक्र, क्षति एवं प्रबंधन का वर्णन कीजिये।

Answers

Answered by mdburhanuddin124
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Explanation:

वैज्ञानिक प्रबन्धन (जिसे टेलरवाद और टेलर पद्धति भी कहते हैं) प्रबन्धन का एक सिद्धान्त है जो कार्य-प्रवाह (workflow) का विश्लेषण एवं संश्लेषण करती है और इस प्रकार श्रमिक उत्पादकता को बढ़ाने में सहायता करती है। इसके मूल सिद्धान्त १८८० एवं १८९० के दशकों में फ्रेडरिक विंस्लो टेलर द्वारा प्रतिपादित किये गये जो उनकी रचनाओं "शॉप मैनेजमेन्ट" (१९०५) तथा "द प्रिन्सिपल्स ऑफ साइन्टिफिक मैनेजमेन्ट" (१९११) के द्वारा प्रकाश में आये। टेलर का मानना था कि परिपाटी और "रूल ऑफ थम्ब" पर आधारित निर्णय के स्थान पर ऐसी तरीकों/विधियों का उपयोग किया जाना चाहिये जो कर्मिकों के कार्य का ध्यानपूर्बक अध्ययन के फलस्वरूप विकसित किये गये हों।

वस्तुत: टेलरवाद, दक्षता वृद्धि का दूसरा नाम है। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त एवं बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में मानव-जीवन में दक्षता बढ़ाने, बर्बादी कम करने, प्रयोगाधारित विधियों का उपयोग करने आदि की बहुत चर्चा हुई। टेलरवाद को इनका ही एक अंश माना जा सकता है

Answered by suraj62111
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द लट, जैसे की नाम से विदित है, सफेद रंग की होती है| इसका सिर भूरा तथा जबड़े काफी मजबूत होते है| सफ़ेद लट एक बहुभक्षी लट है जो किसानों के खेत पर प्राय खरीफ की फसलों जैसे- मूंगफली, मूंग, मोठ, बाजरा, सब्जियों इत्यादियो पौधों की जड़ो को काटकर हानि पहुँचती है| परन्तु मूंगफली जैसी मुसला जड़ो वाली फसलों में, बाजरा जैसे झकड़ा जड़ वाली फसलों की अपेक्षा अधिक नुकसान करती है| राजस्थान के हल्के बालू मिटटी वाले क्षेत्रो में होलोट्राइकिया नामक भृंगो की सफ़ेद लटें अत्यधिक हानि करती है|

सफ़ेद लट का जीवन चक्र : राजस्थान के हल्के बालू मिटटी वाले क्षेत्रो में होलोट्राइकिया नामक भृंगो की सफ़ेद लटें एक वर्ष में केवल एक ही पीढ़ी पूरी केर करती है| किसानों को सफ़ेद लट के जीवन चक्र के बारे में ज्ञात होना आवश्यक है, मानसून अथवा मानसून पूर्व की पहली अच्छी वर्षा के पश्चात इस किट के भृंग सांयकाल गोधूलि वेला (लगभग साय: 7:30 से 7:45 बजे के बीच में) के समय प्रतिदिन भूमि से बाहर निकलते है| 

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