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दोनों गौरैयों को पिताजी जब घर से बाहर निकालने की
कोशिश कर रहे थे तो माँ क्यों मदद नहीं कर रही थी?
बस, वह हँसती क्यों जा रही थी?
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⦿ दोनों गौरैयों को पिताजी जब घर से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे तो माँ क्यों मदद नहीं कर रही थी? बस, वह हँसती क्यों जा रही थी?
► दोनों गौरैयों को पिताजी जब घर से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे, तो माँ यह देखकर पिताजी का उपहास उड़ा रही थीं और उनकी मदद नही कर रही थीं। जब पिताजी ताली बजाकर अपनी दोनों बाहें हिलाकर और कभी-कभी शी-शी की आवाज निकाल कर गोरियों को उड़ाने की कोशिश करते तो माँ हँसने लगती क्योंकि गौरैया घोसले से सिर निकालतीं फिर चीं-चीं करती और फिर मैं अपने घोंसले में वापस दुबक जातीं। गौरैयों की हरकतें देखकर माँ हँसने लगी और वह पिताजी का मजाक उड़ाने लगीं। आखिर में माँ ने पिताजी से कहा, पहले सारे दरवाजे बंद करो। केवल एक दरवाजा खोल के रखो, तभी गौरैया उड़ेंगी।
कक्षा - 8, पाठ - 2,
♦ दो गौरैया ♦
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