History, asked by Aayushpathak1, 5 months ago

स्थिर-बुद्धि के व्यक्तिको स्थितप्रज्ञ कहते है। ऐसा व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को कैसे
संथमित करता है"
1)वो शालीन भाषा का प्रयोग करता है, पीठ सीधा करके बैठता है और अपनी चाल तेज
रखता है।
२. वो अपने इन्द्रियों को संयमित करने की चेष्ठा करते हुए नियमों का पालन करता है और
स्वतंत्रता प्रदान नहीं करता।
३. वो आवश्यकता होने पर कछुवा की तरह इन्द्रियों को संकुचित करता है और उनको भगवान
की सेवा में लगता है
४. वो अष्टांग योग के माध्यम से इन्द्रियों को पूरी तरह से वश में करता है।
५. वो अपने हाथो को भगवान का मंदिर साफ करने में, अपने कानों को भगवान की लीलाओं
के सुनने में, अपनी जीभ को उन्हें अर्पित तुलसी दलों का आस्वाद करने में, अपनी इच्छाओं
को भगवान् की इच्छाओं को पूरा करने में लगता है।
A)२,३,४
C)२,३,५
B) १.४
D)२,३,४,५
please answer as I have test of bhagvad gita tomorrow i.e. 14/01/2021​

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Answered by renukagolwal
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स्थिर-बुद्धि के व्यक्तिको स्थितप्रज्ञ कहते है। ऐसा व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को कैसे

स्थिर-बुद्धि के व्यक्तिको स्थितप्रज्ञ कहते है। ऐसा व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को कैसेसंथमित करता है"

स्थिर-बुद्धि के व्यक्तिको स्थितप्रज्ञ कहते है। ऐसा व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को कैसेसंथमित करता है"1)वो शालीन भाषा का प्रयोग करता है, पीठ सीधा करके बैठता है और अपनी चाल तेज

स्थिर-बुद्धि के व्यक्तिको स्थितप्रज्ञ कहते है। ऐसा व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को कैसेसंथमित करता है"1)वो शालीन भाषा का प्रयोग करता है, पीठ सीधा करके बैठता है और अपनी चाल तेजरखता है।

स्थिर-बुद्धि के व्यक्तिको स्थितप्रज्ञ कहते है। ऐसा व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को कैसेसंथमित करता है"1)वो शालीन भाषा का प्रयोग करता है, पीठ सीधा करके बैठता है और अपनी चाल तेजरखता है।२. वो अपने इन्द्रियों को संयमित करने की चेष्ठा करते हुए नियमों का पालन करता है और

स्थिर-बुद्धि के व्यक्तिको स्थितप्रज्ञ कहते है। ऐसा व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को कैसेसंथमित करता है"1)वो शालीन भाषा का प्रयोग करता है, पीठ सीधा करके बैठता है और अपनी चाल तेजरखता है।२. वो अपने इन्द्रियों को संयमित करने की चेष्ठा करते हुए नियमों का पालन करता है औरस्वतंत्रता प्रदान नहीं करता।

स्थिर-बुद्धि के व्यक्तिको स्थितप्रज्ञ कहते है। ऐसा व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को कैसेसंथमित करता है"1)वो शालीन भाषा का प्रयोग करता है, पीठ सीधा करके बैठता है और अपनी चाल तेजरखता है।२. वो अपने इन्द्रियों को संयमित करने की चेष्ठा करते हुए नियमों का पालन करता है औरस्वतंत्रता प्रदान नहीं करता।३. वो आवश्यकता होने पर कछुवा की तरह इन्द्रियों को संकुचित करता है और उनको भगवान

स्थिर-बुद्धि के व्यक्तिको स्थितप्रज्ञ कहते है। ऐसा व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को कैसेसंथमित करता है"1)वो शालीन भाषा का प्रयोग करता है, पीठ सीधा करके बैठता है और अपनी चाल तेजरखता है।२. वो अपने इन्द्रियों को संयमित करने की चेष्ठा करते हुए नियमों का पालन करता है औरस्वतंत्रता प्रदान नहीं करता।३. वो आवश्यकता होने पर कछुवा की तरह इन्द्रियों को संकुचित करता है और उनको भगवानकी सेवा में लगता है

स्थिर-बुद्धि के व्यक्तिको स्थितप्रज्ञ कहते है। ऐसा व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को कैसेसंथमित करता है"1)वो शालीन भाषा का प्रयोग करता है, पीठ सीधा करके बैठता है और अपनी चाल तेजरखता है।२. वो अपने इन्द्रियों को संयमित करने की चेष्ठा करते हुए नियमों का पालन करता है औरस्वतंत्रता प्रदान नहीं करता।३. वो आवश्यकता होने पर कछुवा की तरह इन्द्रियों को संकुचित करता है और उनको भगवानकी सेवा में लगता है४. वो अष्टांग योग के माध्यम से इन्द्रियों को पूरी

Answered by shashipravakerketta
1

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I don't know answers

Sorry

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