स्थायी एवं घटती किस्त पद्धति में अंतर लिखिए।
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muje nahi pata
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khud hi dhund le
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majak kar raha huu
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स्थायी किस्त पद्धति:
- इसमें ह्रास की राशि प्रतिवर्ष समान रहती है।
- इसमें ह्रास की दर प्रायः कम या नीची होती है।
- यह पद्धति ह्रास गणना करने की दृष्टि से सरल है।
- इसमें प्रथम वर्ष के बाद भी ह्रास की दर मूल लागत पर निश्चित रहती है।
क्रमागत शेष पद्धति:
- इसमें ह्रास की राशि प्रतिवर्ष घटती रहती है।
- इसमें ह्रास की दर प्रायः ऊँची होती है।
- यह पद्धति ह्रास की गणना करने की दृष्टि से अपेक्षाकृत कठिन है।
- इसमें प्रथम वर्ष के बाद ह्रास की दर मूल लागत के स्थान पर घटते हुए शेष पर निश्चित रहती है।
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