Hindi, asked by Archanashrma, 1 year ago

सौंदर्य मयि ऊषा पर कोई कहानी लिखें

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Answered by himanshuchakkip9w7ux
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डॉ. रामविलास शर्मा की यह मूल्यवान आलोचनात्मक कृति भारोपीय साहित्य और समाज की क्रियाशील आस्था और सौंदर्य की अवधारणाओं का व्यापक विश्लेषण करती है। इस संदर्भ में रामविलास जी के इस कथन को रेखांकित किया जाना चाहिए कि अनास्था और संदेहवाद साहित्य का कोई दार्शनिक मूल्य नहीं हैं, बल्कि वह यथार्थ जगत की सत्ता और मानव-संस्कृति के दीर्घकालीन अर्जित मूल्यों के अस्वीकार ही प्रयास है। उनकी स्थापना है कि साहित्य और यथार्थ जगत का संबंध सदा से अभिन्न है और कलाकार जिस सौंदर्य की सृष्टि करता है, वह किसी समाज-निरपेक्ष व्यक्ति की कल्पना की उपज न होकर विकासमान सामाजिक जीवन से उसके घनिष्ठ संबंध का परिणाम है। 
रामविलासजी की इस कृति का पहला संस्करण 1961 में हुआ था। इस संस्करण में दो नए निबन्ध शामिल हैं। एक गिरिजाकुमार माथुर की काव्ययात्रा के पुनर्मूल्यांकन और दूसरा फ्रांस की राज्यक्रांति तथा मानवजाति के सांस्कृतिक विकास की समस्या को लेकर। इस विस्तृत निबंध में लेखक ने दो महत्त्वपूर्ण सवालों पर खासतौर से विचार किया है। कि क्या मानवजाति के सांस्कृतिक विकास के लिए क्रांति आवश्यक है और फ्रांस ही नहीं, रूस, की समाजवादी क्रांति भी क्या इसके लिए जरूरी थी ? कहना न होगा कि समाजवादी देशों की वर्तमान उथल-पुथल के संदर्भ में इन सवालों का आज एक विशिष्ट महत्त्व है।
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