संधि एवं समास में क्या अंतर है
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Explanation:
— दो वर्णों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है ,उस मेल को ही संधि अथवा संहिता कहते हैं ।
पर: सन्निकर्ष: संहिता ।
जैसे — देव + इंद्र = देवेन्द्र यहां अ + इ के मेल से ए संधि के तहत बना है ।
सामान्यत संधि का अर्थ है मेल ।
हरि + इच्छा _ हरीच्छा ( इ + ई के स्थान पर एक वर्ण )
सु + आगतम् ( उ + आ =व् ) स्वागतम्
समास = सम् + आस् + घञ् ( अ). प्रत्यय से बना हुआ शब्द समीप बैठना अर्थात् दो शब्दों का इतना समीप बैठना कि वे पूर्णतः अथवा अंशत : एक रूप हो जाए ।
जैसे — रामश्च लक्ष्मणश्च = रामलक्ष्मणौश्च
अथवा सम् आसनम् ,असन का अर्थ है फेंक देना ,बीच की विभक्ति या च का आदि निपात को बाहर फेंक कर जब शब्दों में एकार्थी भाव हो जाता है तब समास कहलाता है ।
संधि समास में अंतर —
१ सन्धि में वर्णों का मेल होता है ।
समास में पदों का ।
२ संधि में वर्णो का अतिशय सामीप्य होता है ।
समास में पद सामीप्य होने पर भी पदों में परस्पर अन्वय की विवक्षा रहती है ।
३ समास होने पर संधि अवश्य होती है ।
जब कि संधि होने पर समास कार्य अनिवार्य नहीं है ।
एक उदाहरण से इनका अंतर और स्पष्ट हो सकता है —
हिमालय = हिम + आलय
इसमें हिम ( हिम् अ ) के अ और आलय के आ में संधि होगी । दोनों वर्ण मिलकर अ+ आ = आ हो जाएंगे ।
यह वर्णों का मेल हुआ ।
इसी शब्द का जब समास करेंगे तो होगा — हिम का आलय अर्थात् बर्फ का घर ( हिम एक पद है और आलय एक पद है ,इन दोनों में समास होगा और मिलकर एक शब्द बनेगा हिमालय ।
आशा है संधि समास में अंतर स्पष्ट हो जाएगा ।