Hindi, asked by bhisamsinghbhisamsin, 7 months ago

संधि मेंस्वर व्यंजन: यदा पीतम या तद्भव चंद्रोदय दिनेश निराशा शर्मा सन्मार्ग जगदीश दुर्जन सिंह स्वर संधि: संधि आया फिर व्यंजन संधि कौनसी संधि है ​

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Answered by anshbagul79
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Answer:

संधि का अर्थ है-मेल। जब दो वर्षों के मेल से उनके मूल रूप में जो परिवर्तन या विकार आ जाता है, वह संधि कहलाता है; जैसे-

नर + ईश = नरेश

विद्या + अर्थी = विद्यार्थी

उपर्युक्त उदाहरणों में पहले शब्द के अंतिम वर्ण तथा दूसरे शब्द के पहले वर्ण के मेल में परिवर्तन आ गया है। यही परिवर्तन संधि है।

संधि विच्छेद – संधि का अर्थ है-मिलना, विच्छेद का अर्थ है-अलग होना। दो वर्षों के मेल से बने नए शब्द को वापस पहले की स्थिति में लाना संधि विच्छेद कहलाता है; जैसे–

विद्यालय = विद्या + आलय

सूर्योदय = सूर्य + उदय

संधि के भेद – संधि के तीन भेद होते हैं।

(क) स्वर संधि

(ख) व्यंजन संधि

(ग) विसर्ग संधि।

(क) स्वर संधि – स्वर संधि यानी स्वरों का मेल। दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं; जैसे– महा + आत्मा = महात्मा, हिम + आलय = हिमालय।

स्वर संधि के पाँच भेद होते हैं

दीर्घ संधि

गुण संधि

वृधि संधि

यण संधि

अयादि संधि

1. दीर्घ संधि – जब ह्रस्व या दीर्घ स्वर के बाद ह्रस्व या दीर्घ स्वर आएँ, तो दोनों के मेल से दीर्घ स्वर हो जाता है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं; जैसे

परम + अर्थ = परमार्थ

सार + अंश = सारांश

न्याय + अधीश = न्यायधीश

देह + अंत = देहांत

मत + अनुसार = मतानुसार

भाव + अर्थ = भावार्थ

अ + आ = आ

हिम + आलय = हिमालय

छात्र + आवास = छात्रावास

आ + आ = आ – विद्या + आलय = विद्यालय, शिव + आलय = शिवालय।

इ + इ = ई – अभि + इष्ट = अभीष्ट, हरी + इच्छा = हरीच्छा।

इ + ई = ई – हरि + ईश = हरीश, परि + ईक्षा = परीक्षा।

ई + इ = ई – शची + इंद्र = शचींद्र, मही + इंद्र = महेंद्र।

ई + ई = ई – रजनी + ईश = रजनीश, नारी + ईश्वर = नारीश्वर

उ + उ = ऊ – भानु + उदय = भानूदय, लघु + ऊर्मि = लघूर्मि

उ + ऊ = ऊ – लघु + ऊर्मि = लघूर्मि,

ऊ + ऊ = ऊ – भू+ उर्जा = भूर्जा, भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व

2. गुण संधि – अ/आ का मेल इ/ई से होने पर ए, उ + ऊ से होने पर ओ तथा ऋ से होने पर अर् हो जाता है। इसे गुण संधि कहते हैं; जैसे

अ/आ + इ + ई = ए – नर + इंद्र = नरेंद्र, नर + ईश = नरेश।

अ/आ + उ + ऊ = ओ – पर + उपकार = परोपकार, महा + उत्सव = महोत्सव।

अ/आ + ऋ + ऋ = अर – देव + ऋषि = देवर्षि, महा + ऋषि = महर्षि।

3. वृधि संधि – वृधि संधि में अ या आ के बाद यदि ए या ऐ हो तो दोनों का ‘ऐ’ होगा। यदि अ या आ के बाद ओ या आ

आए तो दोनों का ‘ओ’ होगा; जैसे

अ + आ + ए/ऐ = ऐ

एक + एक = एकैक, सदा + एव = सदैव

अ/आ + ओ + औ = औ = वन + औषधि = वनौषधि, जल + ओध = जलौध।

4. यण संधि – इ अथवा ई के बाद इ और ई को छोड़कर यदि कोई अन्य स्वर हो तो ‘इ’ अथवा ई के स्थान पर य् उ अथवा ऊ को छोड़कर कोई अन्य स्वर हो तो उनके स्थान पर ‘व’ और ‘ऋ’ को छोड़कर कोई अन्य स्वर हो तो उसके स्थान पर ‘र’ हो जाता है। इसे यणसंधि कहते हैं; जैसे

अति + अधिक = अत्यधिक, यदि + अपि = यद्यपि

Explanation:

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Answered by dpsinghanju
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Answer:

रमा+ईश=रमेश

दिन+ईश=दिनेश

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