साधु महाराज प्रवचन दे रहे है भाषा का रूप है बताइएगा.
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कबीर या कबीर साहेब जी 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में परमेश्वर की भक्ति के लिए एक महान प्रवर्तक के रूप में उभरे। इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनका लेखन सिक्खों ☬ के आदि ग्रंथ में भी देखने को मिलता है।[1][2] वे हिन्दू धर्म व इस्लाम को न मानते हुए धर्म एक सर्वोच्च ईश्वर में विश्वास रखते थे। उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास की निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना भी।[1][3] उनके जीवनकाल के दौरान हिन्दू और मुसलमान दोनों ने उन्हें बहुत प्रताड़ित किया।[2] कबीर पंथ नामक धार्मिक सम्प्रदाय इनकी शिक्षाओं के अनुयायी हैं।[4]
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