Hindi, asked by brainlystar488, 10 months ago

साधारण जीव तथा साहसी व्यक्ति में क्या अंतर होता है ?​

Answers

Answered by Anonymous
18

</p><p>&lt;html&gt;&lt;body&gt; &lt;marquee style="z-index:2;position:absolute;left:18px;top:97px;font-family:Cursive;font-size:14pt;color:#ffcc00;height:200px;" scrollamount="3" direction="down"&gt;follow me&lt;/marquee&gt; &lt;marquee style="z-index:2;position:absolute;left:1px;top:89px;font-family:Cursive;font-size:14pt;color:#ffcc00;height:100px;" scrollamount="7" direction="down"&gt;follow me&lt;/marquee&gt;  &lt;marquee style="z-index:2;position:absolute;left:111px;top:7px;font-family:Cursive;font-size:14pt;color:#ffcc00;height:302px;" scrollamount="4" direction="down"&gt;♥️follow me♥️&lt;/marquee&gt;  &lt;marquee style="z-index:2;position:absolute;left:225px;top:83px;font-family:Cursive;font-size:14pt;color:#ffcc00;height:371px;" scrollamount="3" direction="down"&gt;follow me&lt;/marquee&gt;   &lt;marquee style="z-index:2;position:absolute;left:105px;top:53px;font-family:Cursive;font-size:14pt;color:#ffcc00;height:317px;" scrollamount="2" direction="down"&gt;♥️follow me♥️&lt;/marquee&gt;&lt;/body&gt; &lt;/html&gt;

    \mathfrak{\huge{\pink{\underline{\underline{answer:-}}}}}

साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं. जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला व्यक्ति दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है.

Answered by bavitha333
12

Answer:

साहस की जिंदगी सबसे बड़ी जिंदगी होती है. ऐसी जिंदगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिल्कुल निडर, बिल्कुल बेखौफ होती है.

साहसी मनुष्य उन स्वप्नों में भी रस लेता है, जिन स्वप्नों का कोई व्यवहारिक अर्थ नहीं है. साहसी व्यक्ति सपने उधार नहीं लेता, वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है.

झुंड में चलना, झुंड में चरना यह भैंस और भेड़ का काम है. सिंह तो बिल्कुल अकेला होने पर भी मगन रहता है.

जो आदमी यह महसूस करता है कि किसी महान निश्चय के समय वह साहस से काम नहीं ले सका, जिंदगी की चुनौती को कबूल नहीं कर सका, वह सुखी नहीं हो सकता.बड़े मौके पर साहस नहीं दिखाने वाला आदमी बराबर अपनी आत्मा के भीतर एक आवाज सुनता रहता है.

एक ऐसी आवाज जिसे वही सुन सकता है और जिसे वह रोक भी नहीं सकता. यह आवाज उससे बराबर कहती रहती है – ‘तुम साहस नहीं दिखा सके, कायर की तरह भाग खड़े हुए’.

संसारिक अर्थ में जिसे हम सुख कहते हैं उसका ना मिलना, फिर भी इससे कहीं श्रेष्ठ है, कि मरने के समय हम अपनी आत्मा से यह धिक्कार सुनें कि तुममें हिम्मत की कमी थी, कि तुममें साहस का अभाव था कि तुम ठीक वक्त पर जिंदगी से भाग खड़े हुए.

जिंदगी को ठीक से जीना हमेशा ही जोखिम खेलना है और जो आदमी सकुशल जीने के लिए हर जगह पर एक घेरा डालता है, वह अंततः अपने ही घेरों के बीच कैद हो जाता है और जिंदगी का कोई मजा उसे नहीं मिल पाता क्योंकि जोखिम से बचने की कोशिश में असल में उसने जिंदगी को ही आने से रोक रखा है.

जिंदगी से अंत में हम उतना ही पाते हैं जितना की पूंजी उसमें लगाते हैं. यह पूंजी लगाना जिंदगी के संकटों का सामना करना है. उसके उस पन्ने को उलट कर पढ़ना है जिसके सभी अक्षर फूलों से ही नहीं कुछ अंगारों लिखे गए हैं.

जिंदगी का भेद कुछ उसे ही मालूम है जो यह जानकर चलता है कि जिंदगी कभी भी खत्म ना होने वाली चीज है.

अरे ओ जिंदगी के साधकों ! अगर किनारे की भरी हुई सीपियों से ही तुम्हें संतोष हो जाए तो समुद्र के अंतराल में छुपे हुए मौक्तिक कोष को कौन बाहर लाएगा.

दुनिया में जितने मजे बिखेरे गए हैं उनमें तुम्हारा भी हिस्सा है. वह चीज भी तुम्हारी हो सकती है, जिसे तुम अपनी पहुंच के परे मानकर लौटे जा रहे हो.

कामना का आंचल छोटा मत करो. जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबा कर निचोड़ो, रस की निर्झरी तुम्हारे बहाए भी बह सकती है.

अगर आपको साहस पर निबंध अच्छा लगा तो इसे शेयर और फॉरवर्ड अवश्य करें, जिससे अधिक से अधिक लोग यह जानकारी पढ़ सकें.

Pls follow me and have a nice day.. ❤️

Similar questions