Hindi, asked by sakshi2607, 1 year ago

स्वामी दयानंद सरस्वती पर निबंध | Write an essay on Swami Dayanand Saraswati in Hindi

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Answered by coolthakursaini36
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                               स्वामी दयानन्द सरस्वती

18वीं शताब्दी में जब भारतवर्ष में सामाजिककुरीतियों का बोलबाला बढ़ने लगा था, लोग कुमार्गगामी हो रहे थे, यज्ञ, वेदों का अध्ययन छोड़ दिया था, समाज में छुआछूत उच्च स्टार पर थी I तब लोगों को सन्मार्ग दिखाने के लिए ऋषिवर स्वामी दयानन्द सरस्वती आए थे I

स्वामी दयानन्द सरस्वती जी का जन्म गुजरात के टंकारा में 12 फरवरी 1824 को हुआ था I उनके बचपन का नाम मूलशंकर था I बचपन में वो शिव भक्त थे I

जब उनको वैराग्य हुआ तो वो सचे गुरु की खोज मैं निकल पड़े I जब वो गुरु विरजानंद जी के आश्रम में पहुंचे तो उन्होंने गुरु को आवाज़ लगाईं, अन्दर से आवाज़ आई कौन? तब स्वामी दयानन्द सरस्वती ने कहा यही तो मन जानने आया हूँ कि मैं कौन हूँ I उन्होंने गुरु विरजानंद जी को अपना गुरु धारण कर लिया I

गुरु विरजानंद जी ने 1874 में आर्य समाज कि स्थापना कि थी I वे एक समाज सुधारक तथा राष्ट्र चिन्तक सन्यासी थे I उन्होंने ने वेदों का भाष्य किया और लोगों को वेद का ज्ञान बताया I

उन्होंने समाज से बहुत सी कुरीतियों को दूर किया जैसे छुआछूत, स्त्रियों को वेद न पढ़ने देना, सती प्रथा, विधवा पुनर्विवाह न होने देना  इत्यादी अनेक सामाजिक कुरीतियों का विरोध करके दूर किया I

स्वामी दयानन्द सरस्वती आज़ादी कि आबाज उठाने वाले प्रथम सन्यासी थे I उन्होंने सत्यार्थप्रकाश नामक पुस्तक लिखी है I जिसमे इन्होने कहा है कि “ माता पिता के समान न्याकारी विदेशी राज्य कभी पूर्ण सुखकारी नहीं हो सकता है” I उनकी मृत्यु खाने में ज़हर देने से 30 अक्तूबर 1883 में हुई थी I

उनके सिद्धांत हमेशा अमर रहेंगे और लोग सदियों तक उनका अनुकरण करते रहेंगे I


Answered by renisingh2009
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Answer:

स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म सन् 1824 ई॰ को गुजरात प्रदेश के मौरवी क्षेत्र में टंकरा नामक स्थान पर हुआ था । स्वामी जी का बचपन का नाम मूल शंकर था । आपके पिता जी सनातन धर्म के अनुयायी व प्रतिपालक माने जाते थे । स्वामी जी ने अपनी प्रांरभिक शिक्षा संस्कृत भाषा में ग्रहण की ।

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