स्वामी विवेकानंद के अनुसार भारतवर्ष में सभी अनर्थ की जड़ है jansadharan की गरीबी इस कथन को सविस्तार समझाइए
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lo ji aapka answer ye raha
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स्वामी विवेकानंद के अनुसार भारतवर्ष में सभी अनर्थ की जड़ है जनसाधारण की गरीबी इस कथन को सविस्तार निम्न प्रकार से समझाया गया है।
- स्वामी विवेकानंद जी एक दार्शनिक व चिंतक थे। उन्हें भारत की गरीबी देखकर बहुत दुख होता था।
- भारत वर्ष क्या, वे जब भी देश भ्रमण कृते निकलते , उन्हें घोर गरीबी , सामाजिक असमानता तथा अज्ञानता देखकर दुख होता था।
- वे भारतीय जनता को एक नई स्फूर्ति से भर देना चाहते थे।उनकी इच्छा थी कि अध्यात्म, सेवाभाव तथा त्याग राष्ट्रवाद का भाग बने।
- भारत के लिए उन्होंने एक आध्यात्मिक लक्ष्य का निर्धारण किया।
- उनके अनुसार हर व्यक्ति को भगवान की तरह देखा जाना चाहिए। वे कहते थे कि यदि तुम किसी गरीब की पैसों से सहायता नहीं कर सकते तो उसकी सेवा करो।पूजा मानकर उनकी सेवा करो।
- उनका कहना था कि जब तक करोड़ों लोग भूखे रहेंगे मै हर उस इंसान को गद्दार मानूंगा जिसने गरीब का अधिकार छीनकर, उसकी कीमत पर शिक्षा तो प्राप्त कर ली परन्तु उनकी चिंता बिल्कुल नहीं की।
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