स्व-परागण और पर-परागण के बीच अंतर बताइए।
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स्व-परागण और पर-परागण के बीच अंतर :
स्व-परागण :
(1) यह एक ही पुष्प या एक ही पौधों के विभिन्न पुष्पों के बीच होता है।
(2) परागण के लिए किसी कारक की जरूरत नहीं।
पर-परागण :
(1) यह दो पुष्पों के बीच होने वाली क्रिया है।
(2) पर-परागण संपूर्ण करने के लिए वायु , जल, जंतु आदि कारकों की आवश्यकता होती है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
इस पाठ (पादप में जनन ) के सभी प्रश्न उत्तर :
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इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :
किसी पुष्प का चित्र खींचकर उसमें जनन अंगों को नामांकित कौजिए।
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अलैंगिक और लैंगिक जनन के बीच प्रमुख अंतर बताइए।
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Explanation:
स्व-परागण।
- 1. इसमें परागकण उसी फूल के या उसी पौधे के दूसरे फूल के स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं।
- 2. परागकणों के नष्ट होने की संभावना कम होती है।
- 3. इस विधि द्वारा उत्पन्न बीज अधिक स्वस्थ नहीं होते हैं।
- 4. इनमें नई जातियाँ उत्पन्न नहीं होतीं।
पर-परागण
- 1. इसमें परागकण किसी दूसरे पौधे के फल के वर्तिकाग्र, पर पहुँचते हैं।
- 2. परागकणों के नष्ट होने की संभावना अधिक होती है।
- 3. इस विधि द्वारा उत्पन्न बीज अधिक स्वस्थ होते।
- 4. इनमें नई जातियाँ उत्पन्न होती हैं।
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