स्वार्थ, ईर्ष्या, लालच, लोभ आदि मूल्य की दृष्टि से गलत आचरण हैं। इस संदर्भ में धर्म कहता है कि हमें संतोष करना सीखना चाहिए। अगर व्यक्ति लालच न करे, तो वह कम वेतन में भी चैन से जीवन बिता सकता है। लेकिन लालच करने वालों को कभी चैन नहीं मिल सकता, क्योंकि उसे जितना भी मिले, उससे उसका लालच बढ़ता जाता है। इस संदर्भ में आपने लालची मछुआरिन की कहानी पढ़ी होगी। मछुआरिन ने पहले खाना पीना माँगा, फिर घर माँगा, फिर राज्य माँगा और अंत में सूर्य को भी अपने वश में करना चाहा। इस कहानी के माध्यम से हम यह कह सकते हैं कि लालच का कोई अंत नहीं है।
6.कैसे व्यक्तियों को कभी चैन नहीं मिलता
7. मछुआरिन किसको अपने वश में करना चाहती थी ?
8.धर्म के अनुसार हमें क्या करना सीखना चाह
9. मछुआरिन ने क्या-क्या माँगा ?
10. इस गद्यांश से हमें क्या सीख मिलती है ?
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6:lalach karne vale ko
7: Surya ko
8: ache kam
9: khana,Pani,Ghar,rajya
10: lalach ka koi ant nahi
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