'स्वातंत्र्य, समता व बंधुता' इस तत्वों का उद्घोष किसने किया ?
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देश के सर्वसमावेशी विकास के लिए जातीय व्यवस्था खत्म करने पर संपत्ति का समान वितरण आसान हो जाएगा। उसके लिए सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की थोथी बातें करने की बजाय समता, स्वतंत्रता, बंधुता और सामाजिक न्याय पर आधारित आंबेडकर के राष्ट्रवाद पर विचार किया तो यह संभव है।
राष्ट्रवाद को लेकर फिलहाल गर्मागर्म बहस चल रही है। एक समूह हिंदू संस्कृति खासतौर पर ब्राह्मणवादी हिंदू राष्ट्रवाद का समर्थन करता है, जबकि दूसरा समूह राष्ट्रवाद को समानता, लोकतंत्र, स्वतंत्रता और समान नागरिकता के दृष्टिकोण से देखता है। यह दृष्टिकोण संविधान में भी निहित है। हिंदू राष्ट्रवाद पर भरोसा करने वाले बहुत आक्रमक हो गए हैं। आंबेडकर मानते थे कि राष्ट्रीयता यह सामाजिक अहसास है। वह एकजुटता व एकता की सामूहिक भावना है। यही वजह है कि उन्होंने समता, स्वतंत्रता, बंधुता और सामाजिक न्याय इन चार मूल तत्वों के आधार पर संविधान में राष्ट्रवाद का निर्माण किया।