स्वावलंबी स्वाभिमानी देश बनाएं पर 1000 शब्द में निबंध लिखें
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☞ भूमिका
स्वावलंबन का अर्थ है अपने आप पर निर्भर (Dependent on oneself) रहना । इसलिए स्वावलंबन को आत्मनिर्भरता भी कहते हैं । कहा जाता है कि दूसरों के भरोसे रहना या दूसरों पर अवलंबित रहना गुलाम (Slave) होने केसमान होता है । स्वावलंबी व्यक्ति ही अपने जीवन में हर प्रकार की उन्नति (Development) कर सकता है और सदा स्वाधीन रहते हुए सुखी जीवन जी सकता है ।
☞ अभाव से हानियाँ
दूसरों के भरोसे रहने वाला व्यक्ति लोगों की नजर में एकदम छोटा हो जाता है और उसका अपना कोई व्यक्तित्व (Personality) नहीं रहता । वह दूसरों की इच्छा पर निर्भर रहता है । वह कायर (Coward) और साहसविहीन (Courageless) बन जाता है । छोटी-छोटी जरूरतें पूरी करने के लिए उसे दूसरों का मुँह देखना पड़ता है । हमारे देश के बार-बार गुलाम (Slave) सपष्ट बनने का यही कारण था कि इस देश के लोगों में स्वावलंबन नहीं था ।
लोग एक दूसरे को नुकसान (Harm) पहुँचाने में लगे रहते थे । एक ने शत्रु के साथ मिलकर अपने ही देश के लोगों के खिलाफ षड्यंत्र (Conspiracy) रचकर अपने आपको भी शत्रु का गुलाम बना लिया और पूरे देश को गुलामी की आग में झोंक दिया । अत: स्वावलंबी न होना ही मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी है ।
☞ लाभ
स्वावलंबी व्यक्ति न केवल शक्तिशाली बन जाता है, बल्कि वह दूसरों के दुख-सुख भी अच्छी तरह समझ सकता है और दूसरों के कष्ट दूर करने का प्रयत्न भी कर सकता है । ऐसा व्यक्ति ही परोपकारी तथा एक अच्छा प्रशासक (Administrator) बनने लायक होता है ।
कोई भी देश तभी तेजी से विकसित (Developed) हो सकता है, जब उस देश का प्रत्येक व्यक्ति आत्मनिर्भर बन जाय, दूसरों के परिश्रम का फल स्वयं हजम करने की प्रवृत्ति (Attitude) न रखे और किसी भी कार्य को छोटा-बड़ा न समझ कर अपना कार्य पूरी लगन से करे । जिस देश में ऐसे नागरिक (Citizen) हों, उसे कोई भी शत्रु अपना गुलाम नहीं बना सकता ।
☞ उपसंहार
महात्मा गाँधी का चरखे पर सूता कातना, रैदास का जूते बनाना, संत कबीर का कपड़ा बुनना हमें स्वावलंबन की ही शिक्षा प्रदान करता है । हमें इनसे प्रेरणा (Inspiration) लेनी चाहिए ।
स्वावलंबी स्वाभिमानी देश बनाएं पर 1000 शब्द में निबंध लिखें।
स्वाबलंबी देश बनाएं, स्वाभिमानी देश बनाएं। तभी हमारी देश की आजादी का असली मकसद पूरा होगा। अंग्रेजों से हमने आजादी तो ले ली लेकिन हम अभी तक पूरी तरह स्वाबलंबी देश नहीं बन पाए हैं। स्वाभिमान के संदर्भ में हम यह नहीं कह सकते कि हमारा देश स्वाभिमानी नहीं है, लेकिन जब तक हम पूरी तरह स्वाबलंबी नहीं बनेंगे हमारा स्वाभिमान भी आधा अधूरा है।
स्वाबलंबी और स्वाभिमानी देश के लिए आवश्यक है, जब हम स्वाबलंबी होंगे तो हमारे अंदर स्वतः ही स्वाभिमान विकसित होगा। हम बहुत सी बातों पर अभी भी विदेशों पर निर्भर हैं। हमें चाहिए कि हम सुई से लेकर हवाई जहाज तक हर वस्तु का उत्पादन अपने देश में ही कर सकें। हर तरह का अनाज और खाद्य पदार्थ जो कि हमारे देश के निवासियों के लिए आवश्यक हैं, अपने देश के खेतों में ही उपजें, तभी हम स्वालंबी बन सकेंगे।
हमारा देश शुरू से ही स्वाबलंबी रहा है, लेकिन भारी आक्रांताओं में हमारे देश को लूट कर खोखला कर दिया और हमारे देश के सभी संसाधनों का दोहन और शोषण किया। इससे हमारा देश की ढांचा पूरी तरह ध्वस्त हो गया।
भले ही हमें विदेशी शक्तियों से अपने देश को आजादी मिल गई हो, लेकिन अभी भी पूरी तरह मजबूत गति से खड़े नहीं हो पाये हैं। हमारा देश स्वावलंबी बने, इसके लिए हमें अपने देश के घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देना होगा और विदेशी वस्तुओं से परहेज करना होगा, ताकि घरेलू उद्योग को गति मिले। घरेलू उद्योग में अधिक व्यापार होगा तो अधिक से अधिक उद्योग स्थापित होंगे और जो धन विदेशी कंपनियां हमारे देश से कमाकर विदेश ले जाती हैं, वो हमारे देश में ही रहेगा और हमारा देश अधिक अधिक मजबूत होगा, जो स्वाबलंबता की और हमारा पहला और मजबूत कदम होगा।
हमें अपनी इतिहास अपनी संस्कृति अपनी परंपरा आदि सभी का सम्मान करें और अपनी ऐतिहासिक धरोहर सबको संजो कर रखें और अपने देश की परंपरा पर गर्व करें, तभी हम स्वावलंबी और स्वाभिमानी बनेंगे।
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