सावन की पहली झड़ी निबन्ध
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आषाढ़ मास समाप्त हो चला था, पर अभी तक लोग वर्षा के लिए तरस गए थे। एक दो बार हल्की बूँदा-बाँदी तो हुई थी पर झड़ी लगने की स्थिति नहीं आई थी। यही कारण था कि लोग गरमी से बेहाल थे। धरती अभी तक तप रही थी। उसकी प्यास नहीं बुझी थी। सभी प्राणी बड़ी चाह भरी नजरों से आकाश की ओर निहार रहे थे। तभी एक दिन आकाश में बादल उमड़ने-घुमड़ने लगे। मुझे तुलसीदास की ये पंक्तियाँ स्मरण हो आई:
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सावन के महीने में लगने वाली बारिश की झड़ी इस बार महीना आधा बीत जाने के बाद मंगलवार को शुरू हुई। सोलन में पिछले 12 घंटों से रिमझिम बारिश हो रही है। यहां सुबह करीब छह बजे ही बारिश शुरू हो गई। इसके बाद यह रिमझिम बरसात पूरा दिन लगातार जारी रही। इससे यहां का तापमान भी काफी कम हो गया व लोग दिन भर अपने घरों में ही दुबके रहे।
सोलन व आसपास के क्षेत्रों में पूरा दिन धुंध छाई रही, जिससे वाहन चालकों को काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। लोगों को दिन में ही गाड़ियों की लाईटें जलानी पड़ी। बारिश से यहां के तापमान में भी काफी गिरावट आई है। मंगलवार को सोलन का अधिकतम तापमान 22.5 पर पहुंच गया व न्यूनतम तापमान भी 19.5 डिग्री सेल्सियस रहा। यहां पर सुबह साढ़े आठ बजे से दिन में अढ़ाई बजे तक 10.8 मिलीमीटर बारिश हुई। इससे पूर्व सोमवार से सुबह साढ़े आठ बजे तक 13.7 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। खबर लिखे सोलन में बारिश जारी थी।
ER Abu salim