Hindi, asked by vaibhavpanwar362, 2 months ago

सावन में उमग्यों मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की।
उमड़-घुमड चहुदिस से आया, दामिन दमकै झर लावन की।।​

Answers

Answered by jaatsahab67
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Explanation:

बरसे बदरिया सावन की।

सावन की, मन-भावन की।।

सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की।

उमड़-घुमड़ चहुँदिस से आया, दामिन दमकै झर लावन की।।

नन्हीं-नन्हीं बूँदन मेहा बरसे, शीतल पवन सुहावन की।

मीरा के प्रभु गिरधर नागर! आनंद-मंगल गावन की।।

भोर और बरखा कविता का भावार्थ: अपने दूसरे पद में मीराबाई सावन का बड़ा ही मनमोहक चित्रण कर रही हैं। पद में उन्होंने बताया है कि सावन के महीने में मनमोहक बरसात हो रही है। उमड़-घुमड़ कर बादल आसमान में चारों तरफ फैल जाते हैं, आसमान में बिजली भी कड़क रही है। आसमान से बरसात की नन्ही-नन्ही बूँदें गिर रही हैं। ठंडी हवाएं बह रही हैं, जो मीराबाई को ऐसा महसूस करवाती हैं, मानो श्रीकृष्ण ख़ुद चलकर उनके वास आ रहे हैं।

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