स्वनगवक आिांि की अिुभूनत कय अिव क्य है?
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उत्तर : ‘सविनय अवज्ञा’ का उपयोग व्यंग्यकार ने बस के द्वारा दर्शाया है। लेखक जब जीर्ण-शीर्ण बस में बैठ जाता है तो बस के चलने पर उसे उसका एक भी हिस्सा सही नहीं प्रतीत होता, लेकिन थोड़ी देर के बाद बस इस प्रकार चलने लगती है जैसे सभी भाग मिलकर धीरे- धीरे एक हो गए हों। लेखक की यह बिल्कुल गाँधीजी के अंग्रेजीं के खिलाफ किए गए ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ की भाँति दिखाई देती है। जिसमें अंग्रेजों द्वारा भारत में नमक पर टैक्स लगाने पर गाँधीजी तिलमिला उठे थे क्योंकि वे जानते थे कि भारत की जनता तो नमक के साथ भी खाना खा लेती है। ऐसे में नमक पर टैक्स क्यों? उन्होंने इसके विरोध में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। उस समय देश धर्म, संप्रदाय, जातीयता, वर्ग आदि के भेदभावों में डूबा था। सभी को साथ लेकर चलना अत्यधिक कठिन था लेकिन उन्होंने कुशल भूमिका निभाई और गुजरात के साबरमती आश्रम से 250 किलोमीटर कोई पैदल यात्रा करके दांडी गाँव में समुद्री तट पर नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा। ऐसा करने पर सभी भारतीयों ने आपसी भेदभाव मिटाकर उनका पूरा साथ दिया।