स्वराज के विभिन्न आयाम
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स्वराज पर गाँधी के विचार. गाँधी को ना ही दार्शनिक कहा जा सकता और न ही राजनीतिक चिंतक। फिर भी वह ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध संघर्ष में उन्होंने व्यक्ति, समाज, अर्थव्यवस्था, राज्य, नैतिकता तथा कार्यपद्धति के रूप में अहिंसा पर आधारित सुधार के स्वरूप और आयाम को लेकर विभिन्न नेताओं में मतभेद भी बना रहा। लेकिन एक बात पर आम सहमति थी कि ब्रिटिश चुनौती के संदर्भ में सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक स्तर पर भारत के लोगों को कुछ न कुछ करना ही होगा। सुधारवादी नेतृत्व
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