स्वर्ण-शृंखला के बंधन में
अपनी गति उडान सब भूले
बस सपनों में देख रहे है
तक की फुनगी पर के झूले
सेस अरमान कि उड़ते
नीले नम की सीमा पाने
लाल किरण सोच
चाच खोल
चुगले तारक - अचार के दान। writer
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का है ये
ᴩʟꜱ ɢɪᴠᴇ ᴍᴇ ᴀ ʙʀᴀɴʟɪꜱᴛ
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'शिवमंगल सिंह सुमन' द्वारा रचित कविता का नाम 'वह चिड़िया जो' है।
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