स्वर और व्यंजन से आप क्या समझते है
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both they are easy tell in comment which you understsnd
Answer:स्वर में ध्वनियों का वर्ण है जिसके उच्चारण से मुख विवर सदा कम या अधिक खुलता है , स्वर के उच्चारण के समय बाहर निकलती हुई श्वास वायु मुख विवर से कहीं भी रुके बिना बाहर निकल जाती है .
इसकी विशेषताएं क्या क्या है अब उस पर ध्यान दीजिए –
स्वर की विशेषता ( Swar ki Visheshta )
स्वर तंत्रियों में अधिक कंपन होता है।
उच्चारण में मुख विवर थोड़ा-बहुत अवश्य खुलता है।
जिह्वा और ओष्ट परस्पर स्पर्श नहीं करते।
बिना व्यंजनों के स्वर का उच्चारण कर सकते हैं।
स्वराघात की क्षमता केवल स्वरूप को होती है
व्यंजन
व्यंजनों के उच्चारण में स्वर यंत्र से बाहर निकलती श्वास वायु मुख – नासिका के संधि स्थूल या मुख – विवर में कहीं न कहीं अवरुद्ध होकर मुख या नासिका से निकलती है।
इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं –
व्यंजनों की विशेषता ( Vyanjan ki Visheshta )
व्यंजन को ‘ स्पर्श ध्वनि ‘ भी कहते हैं।
उच्चारण में कहीं ना कहीं मुख विवर अवरुद्ध होती है।
व्यंजनों का उच्चारण देर तक नहीं किया जा सकता।
व्यंजन स्वराघात नहीं वहन कर सकते।
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