स्वरूपात्मक संप्रदाय का वर्णन कीजिए
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अतः समाजशास्त्र को एक विशिष्ट विज्ञान बनाने के लिए यह आवश्यक है कि इसके अंतर्गत सभी प्रकार के सामाजिक संबंधों का अध्ययन नहीं करके इन संबंधों के विशिष्ट स्वरूपों का अध्ययन किया जाए । सामाजिक संबंधों के स्वरूपात्मक पक्ष पर जोर देने के कारण ही इस संप्रदाय को स्वरूपात्मक संप्रदाय कहा जाता है ।
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समाजशास्त्र को एक विशिष्ट विज्ञान बनाने के लिए यह आवश्यक है कि इसके अंतर्गत सभी प्रकार के सामाजिक संबंधों का अध्ययन नहीं करके इन संबंधों के विशिष्ट स्वरूपों का अध्ययन किया जाए । सामाजिक संबंधों के स्वरूपात्मक पक्ष पर जोर देने के कारण ही इस संप्रदाय को स्वरूपात्मक संप्रदाय कहा जाता है
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