Social Sciences, asked by umeshkumeti983, 3 months ago

स्वस्थ जनमत निर्माण में आने वाली बाधाओं का विश्लेषण कीजिए क्वेश्चन आंसर​

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Answered by bannybannyavvari
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स्वस्थ जनमत के निर्माण में किसी एक मुख्य बाधक तत्व का नाम ...

स्वस्थ जनमत निर्माण के बाद एक कई तत्व ...

Answered by Anonymous
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स्वस्थ लोकमत के निर्माण में बाधाएँ : - स्वस्थ लोकमत के निर्माण के मार्ग में कुछ बाधाएँ हैं, जिनका विवेचन हम निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत कर सकते हैं

Explanation:

(1) आर्थिक विकास - समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता स्वस्थ लोकमत के निर्माण की एक मुख्य बाधा है । आर्थिक विषमता की स्थिति में अत्यधिक गरीब लोग अमीरों के गुलाम पिछ रह जाते हैं । मतदान के समय अमीर लोग गरीबों के मतों को रुपयों के बल पर खरीद लेते हैं। ऐसी स्थिति में स्वस्थ लोकमत का निर्माण 'सम्भव नहीं होता । आर्थिक विषमता समाज को सम्पन्न व निर्धन,दो वर्गों में बाँट देती है। अतः विविध वर्ग अपने-अपने हितों की दृष्टि से सोचते हैं और इस प्रकार सम्पूर्ण समाज के हित अनुकूल स्वस्थ लोकमत का निर्माण सम्भव नहीं होता।

(2) अशिक्षा - स्वस्थ लोकमत निर्माण के मार्ग में अशिक्षा सबसे बड़ी बाधा है। अशिक्षित नागरिक जटिल राजनीतिक एवं आर्थिक मामलों के सम्बन्ध में अपना कोई निजी मत नहीं रखते हैं,क्योंकि उनमें सोचने-विचारने की बौद्धिक क्षमता नहीं होती। वे दूसरों के बहकावे में आकर उनका मत अपना मत बना लेते हैं। धूर्त राजनीतिज्ञ उन्हें सरलता से गुमराह कर सकते हैं।

(3) साम्प्रदायिकता - साम्प्रदायिकता की संकीर्ण भावना निश्चित रूप से लोकमत के लिए अभिशाप है । साम्प्रदायिक लोग वर्गीय हितों पर अधिक ध्यान देते हैं और सार्वजनिक हितों की उपेक्षा करते हैं। अतः संकुचित साम्प्रदायिक विचार स्वस्थ लोकमत के निर्माण में एक बहुत बड़ी बाधा है।

(4) दोषपूर्ण राजनीतिक दल - यदि राजनीतिक दल सुनिश्चित राजनीतिक और आर्थिक कार्यक्रमों पर आधारित हों, तो वे लोकमत के निर्माण में बहुत सहायक हो सकते हैं। किन्तु यदि इनका निर्माण जाति, धर्म,भाषा या वर्ग के आधार पर हुआ हो, तो वे संकुचित दृष्टिकोण का  करते हैं । ऐसे गलत  प्रचार द्वारा वे जनता को गुमराह करते हैं और देश की एकता को हानि पहुँचाते हैं। इस प्रकार दोषपूर्ण राजनीतिक दल स्वस्थ लोकमत के निर्माण में बाधा उत्पन्न करते हैं

(5) प्रचार साधनों पर सरकारी नियन्त्रण - प्रेस, रेडियो, टेलीविजन आदि प्रचार माध्यमों पर सरकार का नियन्त्रण होने से जनता सही तथ्यों से अवगत नहीं हो पाती है और सरकार द्वारा झूठे प्रचार का शिकार हो जाती है। परिणामतः स्वस्थ लोकमत का निर्माण नहीं हो पाता । तानाशाही में सरकार प्रचार माध्यमों पर पूर्ण नियन्त्रण रखती है तथा लोकमत को अपने हितों के अनुकूल बनाने का प्रयत्न करती है । परन्तु इसे स्वस्थ लोकमत नहीं कहा जा सकता।

(6) पक्षपातपूर्ण समाचार-पत्र - समाचार-पत्र लोकमत निर्माण का सबसे 'प्रभावशाली साधन हैं। यदि समाचार-पत्र निष्पक्ष नहीं हैं, वे धनी व्यक्तियों या सरकार के प्रभाव में हैं, तो वे अपने विचारों की अभिव्यक्ति निष्पक्ष रूप से नहीं कर सकते। ऐसे समाचार-पत्रों को पढ़कर लोग गुमराह हो जाते हैं। अतः पक्षपातपूर्ण समाचार-पत्र स्वस्थ लोकमत का निर्माण नहीं कर सकते, बल्कि वे तो लोकमत को पूर्ण विकृत कर देते हैं।

(7) राष्ट्रीय आदर्शों के सम्बन्ध में मतभेद - राष्ट्रीय आदर्शों के सम्बन्ध में मतभेद भी स्वस्थ लोकमत के निर्माण में बाधक होता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी देश में राज्य के शासन के रूप के सम्बन्ध में, समाज की आर्थिक व्यवस्था के रूप के सम्बन्ध में या देश के सामाजिक ढाँचे के रूप के सम्बन्ध में ही मतभेद हो, तो ऐसे देश में स्वस्थ लोकमत का निर्माण सम्भव नहीं होता।

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