Hindi, asked by arshiya144, 11 months ago

स्वतंञता का वास्तविक अर्थ समझते हुए प्रस्तुत गीत का रसास्वादन कीजिए 11 वी की पंद्रह अगस्त गीत​

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Answered by mishraonlinewdn
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हमारा हक है हमारी दौलत़ किसी के बाबा का जर नहीं है,

है मुल्क भारत वतन हमारा, किसी की खाला का घर नहीं है।

 ये आत्मा तो अजर-अमर है निसार तन-मन स्वदेश पर है

है चीज क्या जेल, गन, मशीनें, कजा का भी हमको डर नहीं है।

 न देश का जिनमें प्रेम होवे, दु:खी के दु:ख से जो दिल न रोए,

खुशामदी बन के शान खोए वो खर है हरगिज बशर नहीं है।

 हुकूक अपने ही चाहते हैं न कुछ किसी का बिगाड़ते हैं,

तुझे तो ऐ खुदगरज ! किसी की भलाई मद्देनजर नहीं है।

 हमारी नस-नस का खून तूने बड़ी सफाई के साथ चूसा,

है कौन-सी तेरी पालिसी वो कि जिसमें घोला जहर नहीं है।

बहाया तूने हैं ख़ूँ उसी का, है तेरी रग-रग में अन्न जिसका,

बता दे बेदर्द तू ही हक से, सितम यह है या कहर नहीं है।

जो बेगुनाहों को सताता, कभी न वो सुख से बैठ पाता,

बड़े-बड़े मिट गए सितमगर, तुझे क्या इसकी खबर नहीं है।

                             

                             वंदे मातरम

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Answered by diyachanchlani
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swatantrata ka vastavik arth samjate hue prastut...

hope it helps you

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