स्वतंत्र आंदोलन में दूसरे को प्रेरित करने वाले किन्हीं दो स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन के बारे में लिखिए
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स्वतंत्रता सेनानी
सैकड़ों वर्षों से ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ भारत सन 1947 में आज़ाद हुआ. यह आजादी लाखों लोगों के त्याग और बलिदान के कारण संभव हो पाई. इन महान लोगों ने अपना तन-मन-धन त्यागकर देश की आज़ादी के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया.
अपने परिवार, घर-बार और दुःख-सुख को भूल, देश के कई महान सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी ताकि आने वाली पीढ़ी स्वतंत्र भारत में चैन की सांस ले सके. स्वतंत्रता आन्दोलन में समाज के हर तबके और देश के हर भाग के लोगों ने हिस्सा लिया.
स्वतंत्र भारत का हरेक व्यक्ति आज इन वीरों और महापुरुषों का ऋणी है जिन्होंने अपना सब कुछ छोड़ सम्पूर्ण जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया. भारत माता के ये महान सपूत आज हम सब के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं. इनकी जीवन गाथा हम सभी को इनके संघर्षों की बार-बार याद दिलाती है और प्रेरणा देती है. अपने ‘स्वतंत्रता सेनानी’ भाग में हम इन तमाम महापुरुषों और महिलाओं के जीवन के बारे में जानेंगे जिन्होंने ने कठोर और दमनकारी ‘अंग्रेजी हुकूमत’ से लड़कर देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
कमलादेवी चट्टोपाध्याय
जन्म : 3 अप्रैल, 1903 (मंगलोर, कर्नाटक) मृत्यु : 29 अक्टूबर, 1988 कार्यक्षेत्र : स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाज सुधारक...
स्वतंत्रता सेनानी
बेगम हज़रत महल
जन्म: 1820, फ़ैज़ाबाद, अवध, भारत मृत्यु: 7 अप्रैल 1879, काठमांडू, नेपाल कार्य: नबाब वाजिद अली शाह की पत्नी, 1857 में...
स्वतंत्रता सेनानी
रानी लक्ष्मीबाई
जन्म: 19 नवम्बर 1828, वाराणसी, उत्तर प्रदेश मृत्यु: 18 जून 1858, कोटा की सराय, ग्वालियर कार्यक्षेत्र: झाँसी की रानी, 1857...
स्वतंत्रता सेनानी
चम्पक रमन पिल्लई
जन्म: 15 सितम्बर 1891, तिरुवनंतपुरम, केरल मृत्यु: 26 मई, 1934, जर्मनी कार्य क्षेत्र: स्वाधीनता सेनानी चम्पक रमन पिल्लई एक भारतीय...
सैकड़ों वर्षों से ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ भारत सन 1947 में आज़ाद हुआ. यह आजादी लाखों लोगों के त्याग और बलिदान के कारण संभव हो पाई. इन महान लोगों ने अपना तन-मन-धन त्यागकर देश की आज़ादी के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया.
अपने परिवार, घर-बार और दुःख-सुख को भूल, देश के कई महान सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी ताकि आने वाली पीढ़ी स्वतंत्र भारत में चैन की सांस ले सके. स्वतंत्रता आन्दोलन में समाज के हर तबके और देश के हर भाग के लोगों ने हिस्सा लिया.
स्वतंत्र भारत का हरेक व्यक्ति आज इन वीरों और महापुरुषों का ऋणी है जिन्होंने अपना सब कुछ छोड़ सम्पूर्ण जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया. भारत माता के ये महान सपूत आज हम सब के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं. इनकी जीवन गाथा हम सभी को इनके संघर्षों की बार-बार याद दिलाती है और प्रेरणा देती है. अपने ‘स्वतंत्रता सेनानी’ भाग में हम इन तमाम महापुरुषों और महिलाओं के जीवन के बारे में जानेंगे जिन्होंने ने कठोर और दमनकारी ‘अंग्रेजी हुकूमत’ से लड़कर देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
कमलादेवी चट्टोपाध्याय
जन्म : 3 अप्रैल, 1903 (मंगलोर, कर्नाटक) मृत्यु : 29 अक्टूबर, 1988 कार्यक्षेत्र : स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाज सुधारक...
स्वतंत्रता सेनानी
बेगम हज़रत महल
जन्म: 1820, फ़ैज़ाबाद, अवध, भारत मृत्यु: 7 अप्रैल 1879, काठमांडू, नेपाल कार्य: नबाब वाजिद अली शाह की पत्नी, 1857 में...
स्वतंत्रता सेनानी
रानी लक्ष्मीबाई
जन्म: 19 नवम्बर 1828, वाराणसी, उत्तर प्रदेश मृत्यु: 18 जून 1858, कोटा की सराय, ग्वालियर कार्यक्षेत्र: झाँसी की रानी, 1857...
स्वतंत्रता सेनानी
चम्पक रमन पिल्लई
जन्म: 15 सितम्बर 1891, तिरुवनंतपुरम, केरल मृत्यु: 26 मई, 1934, जर्मनी कार्य क्षेत्र: स्वाधीनता सेनानी चम्पक रमन पिल्लई एक भारतीय...
ridhi16:
can u write about their sacrifice
उनके बहादुर कार्यों ने वल्लभभाई पटेल को भारत के लोहे के आदमी का खिताब बनाया।बारडोली सत्याग्रह में उनकी भूमिका के लिए, पटेल को सरदार कहा जाता था।सरदार पटेल एक प्रसिद्ध वकील थे, लेकिन उनकी स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए अपना अभ्यास छोड़ दियास्वतंत्रता के पश्चात वह भारत के उप प्रधान मंत्री बने और भारतीय संघ के साथ कई रियासतों को विलय करके भारत का एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
:-. खुदीराम बोस उन युवा क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे, जिन्होंने शौर्य और बलिदान के काम कई लोककलाओं का विषय बन गए हैं।वह उन बहादुर लोगों में से एक थे जिन्होंने अपनी शैली में ब्रिटिश शासन को चुनौती दी थी।उन्नीस वर्ष की आयुमें, वह शहीद हो गया, उसके होंठ पर "वंदे मातरम्" के साथ।
राम प्रसाद बिस्मिल उन युवा क्रांतिकारियों में से एक थे जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना जीवन निर्धारित किया था।बिस्मिल हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य थे और समूह का एक महत्वपूर्ण सदस्य जो काकोरी रेलगाड़ी डकैती में शामिल था।
●भगत सिंह
भगत सिंह का नाम बलिदान, साहस, बहादुरी और दृष्टि का समानार्थी है।
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same answer me alsoooooooo
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