Hindi, asked by sitampaswan9782, 10 months ago

(२) 'स्वतंत्रता का अर्थ स्वच्छंदता नहीं', इस विधान पर स्वमत दीजिए।​

Answers

Answered by bhatiamona
13

स्वतंत्रता का मतलब स्वच्छंदता नहीं।

स्वतंत्रता एक वरदान इसलिए है ताकी मनुष्य अपनी आज़ादी से अपना जीवन अपनी मर्जी  से जी सके | वह किसी का गुलाम बन कर न रहे | उसका जो मन आए वह करें| अपना जीवन हंसी खुशी के साथ व्यतीत करें | मनुष्य को सभी अधिकार हो अपनी मर्जी से घूमें , खाए आदि | स्वतंत्रता एक दायरे के अंदर हो तो यह एक वरदान है |  

सरल शब्दों में स्वतंत्रता का अर्थ है, किसी कार्य को करने के लिए कोई रोक ना होना। लेकिन हम एक समाज में रहते हैं, हम सब वह मनुष्य हैं, जिनके लिए हमारे समाज द्वारा हमारे लिए सभ्य व सामाजिक आचरण करने के लिए नियम बनाए हैं। उन नियमों के अंतर्गत रहकर हम कार्य करें तो वह भी स्वतंत्रता के  दायरे में आता है।

स्वतंत्रता का सीधा अर्थ है कि हम किसी के अधीन होकर कोई कार्य न करें बल्कि हमारा तन-मन-धन-सब हमारा नियंत्रण में हो। हमारी फिल्म देखने की इच्छा हो तो हम फिल्म देखे खाना खाने की इच्छा हो तो खाना खाए कोई हमें रोके रोके नहीं हमारी कहीं घूमने जाने की इच्छा है तो वहां घूमने जाएं कोई हमें घूमने जाने से रोके नहीं मना नहीं करें यह हमारी स्वतंत्रता है, लेकिन स्वतंत्रता जब स्वच्छंदता में बदल जाती है तो वह स्वतंत्रता विकृत हो जाती है। स्वछंदता का मतलब है अनैतिक आचरण सामाजिक दायरे से ऊपर जाकर ऐसा आचरण करना जो एक समाज में स्वीकार ना हो। आज के समय में स्वच्छंदता को भी स्वतंत्रता के मायने मान लिए गए हैं।

यह सच नहीं है स्वच्छंदता नियम से बधी नहीं होती। वो किसी नियम को नहीं मानती। जबकि स्वतंत्रता नियमों में बनी होती है, सामाजिक है। अस्ट्ज सामाजिक है और सामाजिक है आज के दौर में स्वच्छता का अधिक फैशन है और स्वतंत्रता के नाम पर स्वच्छता के आचरण को अपनाया जा रहा है अपने व्यक्तित्व अपने आचरण को आवारा होने दिया जा रहा है यह स्वतंत्रता नहीं है स्वतंत्रता है अपने विचारों को व्यक्त करने की आजादी अपने जीवन जीने की आजादी।

लेकिन अपने अनैतिक आचरण करके समाज में गलत संदेश फैलाएं समाज को दूषित करें और स्वतंत्रता का ढोल पीटने यह तर्कसंगत नहीं है यह स्वच्छता है इसलिए स्वतंत्र जरूर बने लेकिन स्वच्धंद न रहें।

यह स्वतंत्रता अगर कुछ हद तक ही सीमित रहे तो ही अच्छी रहती है, अगर अपनी सीमा को पार कर दे तो वह स्वतंत्रता भी अभिशाप बन जाती है। हर प्रकार की स्वतंत्रता की सीमा होती है और वह स्वतंत्रता उस सीमा के बाद अभिशाप होती है। यह बात तो सब को ही पता है की हद से ज़्यादा कोई भी चीज़ लाभदायक नहीं होती और वह नुकसानदायक होती है, यही बात स्वतंत्रता पर भी लागू होती है।

Answered by gauravbarapatre98
1

gzhsuhsjsi hh execdhjvwfehshcw

Similar questions