स्वतंत्रता के बाद भारत में राज्यों का पुनर्गठन कैसा हुआ समझाइए
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सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा
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स्वतंत्रता के बाद भारत को लगभग 565 रियासतों का समेकन एवं एकीकरण करना था। साथ ही साथ राज्यों की सीमाओं का पुनर्गठन भी करना था क्योंकि ब्रिटिश शासन के अंतर्गत सीमांकन समुचित तरीके से नहीं किया गया था। विभिन्न प्रान्तों में यह माँग उठने लगी कि राज्यों का पुनर्गठन भाषाई आधार पर हो। धर आयोग और जे.वी.पी. समिति (जे.एल. नेहरू, वी.बी. पटेल, पी. सीतारमैया) ने राज्यों के पुनर्गठन के आधार के रूप में भाषायी आधार से अधिक प्रशासनिक आधार को महत्व दिया।
इसके बाद भाषायी आधार पर सीमाओं के पुनर्निर्धारण की मांग और अधिक उठने लगी, जिसके परिणामस्वरूप कई आंदोलन और हिंसक घटनाएँ हुईं। प्रथम भाषायी राज्य का गठन पोट्टि श्रीरामुलु की मृत्यु के बाद 1953 में मद्रास से तेलुगु भाषी आंध्र प्रदेश को अलग करके किया गया था। इसके बाद एक आयोग की स्थापना की गई और इसके आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित किया गया। इसके तहत 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों का गठन किया गया।