*स्वतंत्रता के पश्चात् भारत में पहले लोकसभा चुनाव करवाने के समय निम्न में से किन समस्याओं का सामना करना पड़ा
Answers
Answer:
प्रथम लोकसभा (1952)
देश में पहली बार 1952 में लोकसभा का गठन हुआ। ऐसा पहले आम चुनावों के सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद हुआ था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) 364 सीटों के साथ पहले लोकसभा चुनावों के बाद सत्ता में आई। इसके साथ पार्टी ने कुल पड़े वोटों का 45 प्रतिशत प्राप्त किया था।
पूरे भारत में 44.87 प्रतिशत की चुनावी भागीदारी दर्ज की गई। पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री बने। उनकी पार्टी ने मतदान के 75.99% (4,76,65,951) मत प्राप्त करके विरोधियों को स्पष्ट रूप से हरा दिया। 17 अप्रैल, 1952 को गठित हुई लोकसभा ने 4 अप्रैल, 1957 तक का अपना कार्यकाल पूरा किया।
स्वतंत्र भारत में चुनाव होने के पूर्व ही नेहरू के दो पूर्व कैबिनेट सहयोगियों ने कांग्रेस के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए अलग राजनीतिक दलों की स्थापना कर ली थी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक ओर जहां अक्टूबर, 1951 में जनसंघ की स्थापना की, वहीं दूसरी ओर दलित नेता बी.आर. आम्बेडकर ने अनुसूचित जाति महासंघ (जिसे बाद में रिपब्लिकन पार्टी का नाम दिया गया) को पुनर्जीवित किया।
अन्य दल भी उस समय सामने आए थे। उनमें आचार्य कृपलानी की किसान मजदूर प्रजा परिषद, राममनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी शामिल हैं। हालांकि इन छोटे दलों को पता था कि वे वास्तव में कांग्रेस के मुकाबले में कहीं खड़े नहीं होते हैं।
489 निर्वाचन क्षेत्रों में आयोजित किए गए पहले आम चुनावों में 26 भारतीय राज्यों का प्रतिनिधित्व किया गया। उस समय कुछ 2 सीट और यहां तक कि 3 सीट वाले निर्वाचन क्षेत्र भी थे। एकाधिक सीटों वाले निर्वाचन क्षेत्रों को 1960 के दशक में समाप्त कर दिया गया।
जी.वी. मावलंकर पहली लोकसभा के अध्यक्ष बने थे। पहली लोकसभा में 677 (3,784 घंटे) बैठकें हुईं, यह अब तक हुई बैठकों की उच्चतम संख्या है। इस लोकसभा ने 17 अप्रैल, 1952 से 4 अप्रैल 1957 तक अपना कार्यकाल पूरा किया।
अगले पन्ने प र, दूसरी लोकसभा का इतिहा स...
Explanation:
chunav chetra ka simankan, matdata suchi, matdatao me chunav prakriya ke baare me jankari ka aabhav