स्वतः
दीर्घउत्तरीय प्रश्न
स्वतंत्रता पुकारती कविता का सारांश लिखिए
अथवा
Answers
Hey mate!
Your answer is here:
जयशंकर प्रसाद भारत वर्ष के एक बहुत ही प्रचिलित और महान कविकार थे| वे कविकार होने के साथ साथ नाटककार , कहानीकार, निबंधकार और उपन्यासकार भी थे| जयशंकर प्रसाद जी हिंदी के छायावादी युग के प्रमुख चार स्तंभों में से एक थे| उनका जन्म 30 जनवरी 1889 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ था| उन्होंने ही हिंदी कविता के छायावादी युग की रचना की थी| स्वतंत्रता पुकारती उनकी एक बहुत ही प्रसिद्ध कविताओं में से एक है जिसे उन्होंने भारत के स्वतंत्रता सेनानिओ को समर्पित करि थी| आज के इस पोस्ट में हम आपको स्वतंत्रता पुकारती कविता की व्याख्या, स्वतंत्रता पुकारती पोएम समरी इन हिंदी, स्वतंत्रता पुकारती कविता समरी, आदि की जानकारी देंगे|
HIS POEM:
हिमाद्रि तुंग शृंग से
प्रबुद्ध शुद्ध भारती–
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला
स्वतंत्रता पुकारती–
‘अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!’
असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ
विकीर्ण दिव्यदाह-सी,
सपूत मातृभूमि के–
रुको न शूर साहसी!
अराति सैन्य–सिंधु में, सुवाड़वाग्नि से जलो,
प्रवीर हो, जयी बनो – बढ़े चलो, बढ़े चलो!
Hope it helps...:)
Answer:
good questions
I got a big help