स्वतन्त्रता दिवस पर 60-70 शब्दों मे अन्नुच्छेद
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प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं। १५ अगस्त १९४७ के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने, दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।[1]महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लोगों ने काफी हद तक अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में हिस्सा लिया। स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हुआ। विभाजन के बाद दोनों देशों में हिंसक दंगे भड़क गए और सांप्रदायिक हिंसा की अनेक घटनाएं हुईं। विभाजन के कारण मनुष्य जाति के इतिहास में इतनी ज्यादा संख्या में लोगों का विस्थापन कभी नहीं हुआ। यह संख्या तकरीबन 1.45 करोड़ थी। भारत की जनगणना 1951 के अनुसार विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए। [2]
इस दिन को झंडा फहराने के समारोह, परेड और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ पूरे भारत में मनाया जाता है। भारतीय इस दिन अपनी पोशाक, सामान, घरों और वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित कर इस उत्सव को मनाते हैं और परिवार व दोस्तों के साथ देशभक्ति फिल्में देखते हैं, देशभक्ति के गीत सुनते हैं।[3]
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15 अगस्त 1947 का दिन हमारे देश भारत के लिए बहुत ही भाग्यशाली का दिन था। 15 अगस्त हर भारतीय के लिए सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ दिन है। हम सभी भारतीयों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन 1947 को भारत ने ब्रिटिश राज्य से आजादी प्राप्त की थी। स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व महात्मा गांधी और बहुत से महान नेताओं ने किया और भूत से आम लोगों ने भी इसमें भाग लिया था और बहुत से भारतीयों ने अपना जीवन भी बलिदान किया था। इसी दिन 45 करोड़ भारतीयों को विदेशी दासता से मुक्ति मिली थी। तब से प्रत्येक भारतीय स्वतंत्रता दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाता आ रहा है।