स्वदेश प्रेम कवि माखनलाल चतुर्वेदी कविता का हिंदी अनुवाद
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पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की ख्याति एक लेखक,कवि और वरिष्ठ साहित्यकार के रूप में हैं लेकिन वो एक स्वतन्त्रता सेनानी भी थे.इसके अलावा उनकी पहचान एक जागरूक और कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार की भी थी. इस वजह से ही उनके नाम पर पत्रकारिता को समर्पित एशिया की पहली यूनिवर्सिटी “माखनलाल चतुर्वेदी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन” का नाम रखा गया. माखनलाल “पंडितजी” के नाम से भी विख्यात है. माखनलाल चतुर्वेदी को ब्रिटिश राज के दौरान स्वतंत्रता के लिए चलने वाले विभिन्न आंदोलनों में दिए योगदान के कारण भी याद किया जाता हैं. इसके अलावा उनकी रचनाए “पुष्प की अभिलाषा: और “हीम-तरंगिनी” आज भी उतनी ही प्रसिद्द हैं जितनी उस समय थी, जब इसकी रचना हुई थी. वो भारत के स्वतन्त्रता के लिए कई बार जेल भी गए थे,लेकिन स्वतन्त्रता के बाद उन्होंने सरकार में कोई पद लेने से मना कर दिया. वो स्वतंत्रता से पहले और बाद में भी लगातार कई समय तक सामाजिक अन्याय के विरुद्ध लिखते रहे,और महात्मा गाँधी के दिखाए सत्य अहिंसा और मार्ग पर चलते रहे. उनकी कविताओं में भी देश के प्रति समर्पण और प्रेम को देखा जा सकता हैं.
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